नई दिल्ली : कोरोना वायरस साल 2020 में सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट के तौर पर सामने आया, जिसके कारण दुनियाभर में अब तक 17.03 लाख से अधिक लोग जान गंवान चुके हैं, जबकि संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 7.74 करोड़ से अधिक हो चुके हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सबसे अधिक तबाही अमेरिका में हुई है, जहां इस घातक संक्रमण से 3.25 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि संक्रमण के मामले बढ़कर 1.83 करोड़ से अधिक हो गए हैं। अमेरिका संक्रमण और मृतकों दोनों की संख्या के लिहाज से अव्वल है।
इस घातक संक्रमण का पहला मामला यूं तो चीन के वुहान शहर में दिसंबर 2019 में सामने आया, लेकिन इसने देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। चीन में इस वायरस का मामला सबसे पहले आने के बावजूद इससे यहां तबाही अपेक्षाकृत कम हुई है, जिसे लेकर पूरी दुनिया हैरान है। यहां कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों और संक्रमितों के जो आंकड़े आधिकारिक तौर पर बताए गए हैं, वे दुनिया के कई देशों से बहुत कम हैं और यहां संक्रमण पूरे देश में तेजी से फैलने की बजाय वुहान तक ही सीमित रहा, जिसे लेकर भी प्रेक्षकों ने हैरानी जताई है।
कहां से आया कोरोना वायरस?
माना जा रहा है कि यह वायरस चीन के वुहान स्थित सी-फूड मार्केट से निकला, जहां कई तरह के जंगली पशु-पक्षी और उनके मांस बेचे जाते हैं। चीन में लोग शौक से इन्हें खाते हैं। यहां जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण पाए गए, उन्हें शुरुआत में निमोनिया का मरीज समझा गया, क्योंकि दोनों बीमारियों के लक्षण लगभग एक जैसे थे। बाद में इसकी पहचान कोरोना वायरस के तौर पर की गई, जिसे 2019-nCoV नाम दिया गया। इसमें कम से कम 70 प्रतिशत वही जीनोम अनुक्रम पाए गए जो इससे पहले चीन में 2002-2003 में फैले सार्स-कोरोनावायरस में पाए गए थे।
शुरुआत में जहां चीन कोरोना वायरस संक्रमण को निमोनिया की तरह ट्रीट करता रहा, वहीं मध्य जनवरी तक उसे इसकी गंभीरता का एहसास हो चुका था। 20 जनवरी को चीन ने आधिकारिक तौर पर इसके नियंत्रण व रोकथाम को लेकर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस पर करीब से नजर बनाए हुए था, जिसने 30 जनवरी को कोरोना वायरस संक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की। मार्च तक इस बीमारी का व्यापक प्रसार दुनिया के कई देशों में हो चुका था, जिससे भारत भी अछूता नहीं रहा।
कोरोना को लेकर भारत में हालात
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 1 करोड़ 55 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 1.45 लाख से अधिक लोगों की इस घातक संक्रमण से यहां जान गई है। यहां संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, गुजरात जैसे राज्य हैं। संक्रमण की रोकथाम को लेकर चीन के वुहान की तर्ज पर भारत में भी 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी, जो मई भर जारी रहा। जून से पाबंदियों में कुछ ढील देनी शुरू हुई और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई।
इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने रोजगार गंवाए और खासकर श्रमिकर वर्ग का पलायन गांवों की तरफ शुरू हुआ, जो काम धंधे बंद हो जाने के कारण बेरोजगार हो गए थे। भारत अब कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि इस घातक संक्रमण से बचाव को लेकर वैक्सीन जल्द लोगों को उपलब्ध हो सकेगा। इसमें वरीयता उन फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी, जो जोखिम के क्षेत्र में रहते हुए तमाम खतरों के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं।
कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन
कोरोना वायरस संक्रमण का मामला दिसंबर 2019 में ही सामने आने के बावजूद अब तक इसका कोई सटीक इलाज या वैक्सीन नहीं ढूंढ़ पाने की एक बड़ी वजह वैज्ञानिकों के अनुसार यह रही कि यह वायरस अपना जीनोम बदलता रहा है। हालांकि विगत कुछ समय में इसमें म्यूटेशन की प्रक्रिया कुछ धीमी हुई है और कुछ खास जीनोम में ही बदलाव की बातें सामने आ रही हैं, जिसे आधार बनाकर वैज्ञानिक टीके के विकास में जुटे हुए हैं। भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में टीके पर तेजी से काम चल रहा है, पर यह कितना सटीक होगा, इसे लेकर अभी कुछ भी स्पष्टता नहीं है।
कोरोना वायरस इस सदी की ऐसी पहली महामारी है, जिसने दुनिया का कोई भी देश शायद ही अछूता हो। इससे पहले ऐसा ही संक्रमण 1918 में सामने आया था, 'स्पैनिश फ्लू' फैला था। जनवरी 1918 में पैदा हुई यह संक्रामक बीमारी दिसम्बर 1920 तक बनी रही थी, जिसमें 50 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए। यह संख्या उस समय जो दुनिया की आबादी थी, उसके करीब एक चौथाई था। इस घातक महामारी से मरने वालों की संख्या अनुमानतः 1.70 लाख से लेकर 5 करोड़ तक बताई जाती है। इसे मानव इतिहास की सबसे घातक महामारियों में गिना जाता है।
अर्थव्यवस्था पर असर
कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया। अलग-अलग सेक्टर्स में कई देश वर्षों पीछे चले गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण से दुनिया को कम से कम 12 खरब डॉलर का नुकसान हो चुका है, जबकि अगले पांच वर्षों में यह नुकसान करीब 28 खरब डॉलर का होगा। मौजूदा संकट से उबरने के लिए लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत है, लेकिन वास्तव में से यह संभव होता नहीं दिख रहा, क्योंकि लोगों की आमदनी घट गई है और आर्थिक असुरक्षा का भय उनमें व्याप्त है, जिसके कारण वे खर्च से हिचक रहे हैं।
अभी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आशंका जताई है कि जिस तरह से दुनियाभर में एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं और कई देशों में इसकी दूसरी लहर देखी जा रही है, उससे देखते हुए इकोनॉमिक रिकवरी बहुत मुश्किल दिख रही है। संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच कई जगह फिर से लॉकडाउन और अन्य पाबंदियां लगाए जाने की आशंका बढी है। ऐसे में आईएमएफ का अनुमान है कि आर्थिक विकास की दर धीमी रह सकती है और सार्वजनिक कर्ज में बढ़ोतरी होगी। कुल मिला कोरोना महामारी का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर लंबे समय तक पड़ने की आशंका दिख रही है।