दो मई 2021 को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए उन्होंने सबको चौंका दिया। ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस इतनी बड़ी जीत दर्ज करेगी, इसकी उम्मीद शायद किसी को नहीं थी। विधानसभा की 294 सीटों में टीएमसी ने 215 सीटें जीतकर अपना परचम लहराया। दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी रही। भाजपा को इस चुनाव में 77 सीटें मिलीं। बंगाल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। लेफ्ट और कांग्रेस दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को इस चुनाव में 74 सीटों का फायदा तो जरूर हुआ लेकिन सत्ता में आने का उसका सपना टूट गया।
भाजपा ने झोंकी अपनी पूरी ताकत
लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य में मिले समर्थन से भाजपा उत्साहित थी, विस चुनाव में इसी तरह की सफलता दोहराने के लिए उसने चुनाव-प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह के कई दौरे हुए। केंद्रीय मंत्रियों ने यात्राएं एवं जनसाभाएं कीं लेकिन ममता बनर्जी का जादू कम नहीं हुआ। ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट भले ही हार गईं लेकिन उन्होंने बंगाल में लगातार तीसरी बार टीएमसी की सरकार बनवा दी। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने लगातार तीसरी बार शपथ ग्रहण किया। बंगाल चुनाव में भाजपा की हार से विपक्ष को एक तरह से नई ऊर्जा मिली। विपक्ष को महसूस हुआ कि भाजपा अजेय नहीं है, उसके विजयरथ को रोका जा सकता है।
राजनीतिक हिंसा के लिए भी जाना गया चुनाव
इस बार का बंगाल चुनाव राजनीतिक हिंसा के लिए भी जाना जाएगा। चुनाव नतीजे आने के बाद राज्य भर में हिंसा की घटनाएं हुईं। भाजपा ने आरोप लगाया कि टीएमसी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के इशारे पर भाजपा के कार्यालयों, उनके कार्यकर्ताओं पर हमले हुए। भाजपा नेता एवं कार्यकर्ताओं के घरों को निशाना बनाया गया। हिंसा की वजह से बड़े पैमाने पर लोग अपने घरों एवं से विस्थापित हुए। हिंसा मामले को लेकर भाजपा कोलकाता हाई कोर्ट पहुंची। हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले की जांच करने के लिए। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना कि हिंसा रोकने के लिए सरकारी मशीनरी को जिस तरह से कार्रवाई करनी चाहिए, उसने नहीं की। इस रिपोर्ट के बाद ममता सरकार कठघरे में आ गई। हिंसा मामले की अभी जांच चल रही है।
राष्ट्रीय पार्टी बनना चाहती है टीएमसी
बंगाल चुनाव में ऐतिहासिक दर्ज करने के बाद ममता बनर्जी की राजनीतिक महात्वाकांक्षा ने जोर पकड़ी है। उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति करने का मन बनाया है। वह पार्टी पर से भी क्षेत्रीय दल का तमगा हटाकर राष्ट्रीय करना चाहती हैं। टीएमसी की योजना आने वाले समय में अपने विस्तार की है। पार्टी इस दिशा में लगातार काम कर रही है। टीएमसी गोवा, सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने पांव पसारना चाहती है। ममता बनर्जी कहीं न कहीं खुद को कांग्रेस से दूर रखने लगी हैं। वह कांग्रेस रहित विपक्ष की अगुवाई करना चाहती हैं। ममता मिशन 2024 के पर हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा को वह टक्कर दे सकती हैं लेकिन चुनावी विश्लेषक कांग्रेस के बिना विपक्ष पर संशय रखते हैं।