कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार से मांग की है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा। किसानों और सरकार के बीच कल यानी 3 दिसंबर को फिर से बातचीत होनी है। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने गृह और रक्षा मंत्रालय के बिना वार्ता की मांग की है।
सरकार के साथ कल होने वाली बैठक से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री को एक ड्राफ्ट भेजा है और कल की महत्वपूर्ण बैठक से पहले कुछ नियम और शर्तें सामने रखी हैं। मोर्चा ने कल की बैठक में गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को शामिल नहीं करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा सरकार से अलग-अलग समय पर विभिन्न संगठनों के साथ बैठक करने से परहेज करने को कहा है। कृषि मंत्री ने 1 दिसंबर को 35 किसान नेताओं से मिलने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि किसानों को विशेषज्ञ पैनल का प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है। पुन: दोहराते हुए कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त किया जाए।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'बैठक में जो भी विषय आएगा उसपर चर्चा होगी, कौन सी चीज कहां निराकरित की जा सकती है उसका कानूनी पक्ष देखा जाएगा, उसके बाद किसी निर्णय की दिशा तय होगी। कल 3 दिसंबर को किसान यूनियन के लोग आने वाले हैं, वो अपना पक्ष रखेंगे, सरकार अपना पक्ष रखेगी। देखते हैं कहां तक समाधान हो सकता है। भारतीय किसान यूनियन को जो ड्राफ्ट देना था वो रात तक आएगा। हम इंतजार में हैं। जब उनका ड्राफ्ट आएगा तो हम कल उस पर चर्चा करेंगे। मैं किसानों से अपील करता हूं कि कानून उनके हित में हैं और सुधार लंबे इंतजार के बाद किए गए हैं, लेकिन अगर उन्हें इस पर कोई आपत्ति है तो हम उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं।'