जून महीना आते ही कारे कारे बदरा के इंतजार में आंखे आसमां को देखने लगती है। हर किसी को इंतजार रहता है कि मानसून की पहली फुहार से धरती की तपीश कब बुझेगी। धरती की तपीश बुझने का इंतजार इसलिए रहता है कि क्योंकि लू के गर्म थपेड़ों से ना सिर्फ तन बदन झुलस जाता है बल्कि मन भी तपीश का शिकार हो जाता है।
ये नजारा कोलकाता के आसमां का है। बारिश से भरे बादल हवा में तैर रहे हैं तो उससे पहले चंचल चपला आसमां में अठखेलियां कर रही है। संदेश बहुच साफ है कि अब बदरा जमकर बरसेंगे। एक तरफ बारिश तो दूसरी तरफ आसमानी बिजली ये जहां एक तरफ देखने में खूबसूरत लगते हैं वहीं अपने साथ दुख की बारिश भी करते हैं। बंगाल में आसमानी बिजली से 26 लोगों की मौत हो चुकी है।
मानसूनी बारिश से कोलकाता की सड़कें सराबोर हो रही हैं तो जिंदंगी की जद्दोजहद में एक शख्स साइकिल पर सड़क पर निकल पड़ा है। बारिश से बचने के उपाय के साथ अपने जीविकापार्जन के लिए अपनी मंजिल की तरफ जा रहा है। पश्चिम बंगाल के दूसरे हिस्सों की तरह राजधानी कोलकाता में भी जबरदस्त बारिश हुई थी।
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