नई दिल्ली: इस साल 11 अगस्त को बेंगलुरु में हुए दंगों के मामले में चार्जशीट से सामने आया है कि कांग्रेस के पूर्व महापौर संपत राज ने अपनी ही पार्टी के दलित विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति को निशाना बनाने के लिए एसडीपीआई की मदद ली। TIMES NOW के पास 694 पन्नों की चार्जशीट से पता चला है कि संपत राज ने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति को हासिल करने के लिए एसडीपीआई का इस्तेमाल किया और इलाके में मुस्लिम समुदाय को उकसाने का काम किया।
यह माना जाता था कि मूर्ति के भतीजे की सोशल मीडिया पोस्ट से दंगों की चिंगारी भड़क उठी थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। जबकि चार्जशीट से पता चलता है कि यह साजिश पहले से ही रची गई थी और एएस मूर्ति के भतीजे नवीन की पोस्ट को संपत राज द्वारा एक कारण के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
चार्जशीट के अनुसार, इस हिंसा के लिए मई 2020 से साजिश रची जा रही थी। संपत राज ने साजिश में बड़ी भूमिका निभाई। पार्षद अब्दुल रकीब जाकिर भी इसका हिस्सा था। बेंगलुरु पुलिस का मानना है कि भीड़ का इरादा मूर्ति की हत्या करने का था, यहां तक कि एआर जाकिर मूर्ति को राजनीतिक रूप से खत्म करने की साजिश कर रहा था। यह पता चला है कि संपत राज और जाकिर ने दूर से हमले का समन्वय किया था। चार्जशीट में कहा गया है कि दोनों ने अपने फोन भी अपने घरों पर छोड़ दिए ताकि पुलिस उन्हें दंगों के करीब ना ट्रैक कर सके।
विधायक ने रखी अपनी बात
इससे पहले टाइम्स नाउ से बात करते हुए अखंड श्रीनिवास मूर्ति ने कहा था, 'मेरे निर्वाचन क्षेत्र में मेरी किसी से भी दुश्मनी नहीं है। पार्षद से लेकर पार्टी कार्यकर्ता, अध्यक्ष सबके साथ मिलकर हम कोशिश करने की कोशिश करते हैं। अगर किसी को मेरे पर विश्वास नहीं था तो उसे पार्टी नेता सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार से शिकायत करनी थी। मुझे नहीं पता कि वो मुझपर क्यों हमला करना चाहते हैं। मेरी किसी से दुश्मनी नहीं है। मुझे खत्म करने की कोशिश की जा रही है।'
थाने को भी बनाया निशाना
गुस्साई भीड़ ने पुलकेशिनगर के विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के निवास और डी जे हल्ली के थाने को निशाना बनाया था। विधायक का मकान फूंक दिया गया था। उस वक्त मूर्ति अपने घर में नहीं थे। इस हिंसा के दौरान भीड़ ने कई अन्य घरों, सार्वजनिक संपत्ति, दुकानों और वाहनों को भी निशाना बनाया था। केंद्रीय अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि संपत राज उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें हिंसा के बारे में जानकारी थी लेकिन उन्होंने पुलिस से इसे साझा नहीं किया।