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Gyanvapi पर Kashi में संतों की बड़ी बैठक, देशभर में आंदोलन खड़ा करने की तैयारी

Updated Aug 14, 2022 | 15:20 IST

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस में दोबारा सुनवाई शुरू होने से पहले आज वाराणसी में कई संतों की बैठक हुई। देश के प्रमुख अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें ज्ञानवापी विवाद को लेकर चर्चा की गई।

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मुख्य बातें
  • वाराणसी में ज्ञानवापी केस को लेकर बढ़ी हलचल
  • देश के प्रमुख अखाड़ों के महामंडलेश्वरों की अहम बैठक
  • ज्ञानवापी के मुद्दे पर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप

Gyanvapi Masjid Survey Dispute को लेकर अदालती लड़ाई चल रही है। Varanasi की जिला जज अदालत में इस मामले की सुनवाई हो रही है। इन सब के बीच में वाराणसी में देश के संतों की बड़ी बैठक हो रही है। बैठक में संतों ने कांग्रेस (Congress) और All India Muslim Personal Law Board को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।  बैठक में ज्ञानवापी को लेकर आंदोलन को लेकर भी चर्चा की गई। संतों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर भी सवाल खड़े किए गए। इसके अलावा संतों ने तिरंगा यात्रा भी निकाली और नूपुर शर्मा प्रकरण में देश में बने माहौल पर भी चिंता जताई।

18 अगस्त को होगी सुनवाई

आपको बता दें कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में जिला जज की अदालत ने मुस्लिम पक्ष को अपना प्रत्युत्तर पेश करने के लिए 18 अगस्त तक का समय दिया है। अदालत में दोनों पक्षों की दलील पूरी हो चुकी है। आज मुस्लिम पक्ष को हिन्दू पक्ष की दलीलों पर अदालत के समक्ष अपना प्रत्युत्तर पेश करना था, मगर मुस्लिम पक्ष के मुख्य अधिवक्ता अभय यादव के कुछ दिनों पूर्व ह्रदय गति रुक जाने से मृत्यु हो गयी थी, लिहाजा मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने मुकदमे से जुड़े सभी दस्तावेज अभय यादव के पास सुरक्षित रखे होने का हवाला देते हुए 15 दिन का समय मांगा था  जिसके बाद कोर्ट ने 18 अगस्त की तारीख तय की है।

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सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

गौरतलब है कि ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों की सुरक्षा के लिए राखी सिंह तथा अन्य ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में एक याचिका दाखिल की थी। अदालत के निर्देश पर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था। मुस्लिम पक्ष ने इसे उपासना स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। न्यायालय ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था मगर मामले की सुनवाई निचली अदालत के बजाय जिला अदालत में करने के निर्देश दिए थे।

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