किसान आंदोलन के नाम पर आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन चल रहा है। अब इस आंदोलन में बड़ी दरार पड़ गई है। भारतीय किसान यूनियन के किसान नेताओं ने अब एक अलग मोर्चा बना लिया है। इन किसानों का आरोप है कि राकेश टिकैत ने अपने सियासी फायदे के लिए आंदोलन का इस्तेमाल किया है। आंदोलन के चंद दिनों के बाद ही किसानों के नाम से चल रहा ये आंदोलन किसानों का कम और राजनीतिक दलों का ज्यादा लगने लग गया था। अब इस बात की पुष्टि भी हो रही है कि खुद को किसानों का मसीहा कहने वाले राकेश टिकैत किसानों की खेती पर राजनीति की फसल बोना चाहते हैं। राकेश टिकैत किसानों के कंधे पर सियासी हल लहराना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और अकाली दल किसानों के मुद्दे को लपकने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दोनों का मकसद किसानों के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करना है। सवाल है क्या राकेश टिकैत अपने सियासी फायदे के लिए भोले भाले किसानों को धोखा दे रहे और सवाल ये भी कि किसानों के नाम पर सियासत की फसल कब तक तैयार की जाएगी।