धाकड़ एक्सक्लूसिव में बात हुई बांग्लादेश में हिंदूओं पर हो रहे हमले की। बांग्लादेश में पांच दिन में 80 हमले हुए और 6 लोगों की मौत हुई। बांग्लादेश में क्या अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं? उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? बांग्लादेश को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात करना किया सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है? क्या विपक्ष का इस पर कोई योगदान नहीं होना चाहिए? अचानक CAA का ऊंचे सुर में गुणगान शुरू हो गया। सबसे बड़ी बात कि ये गुणगान वो लोग कर रहे हैं जो CAA को अल्पसंख्यकों का दुश्मन बता रहे थे। वो आज पूछ रहे हैं कि CAA कहां है? CAA के नियम कब बनेंगे? हैरानी की बात है कि 2020 में CAA के विरोधी 2021 में अचानक CAA के समर्थक हो गए।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की खिलाफ हुई हिंसा पर विरोध की आग नई दिल्ली से न्यूयॉर्क तक जल रही है। UN ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले उसके संविधान में निहित मूल्यों के खिलाफ हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की जरूरत है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के दो रंग देखने को मिले। पहला रंग असम के गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन के साथ साथ नारे बाजी का दिखा। कोलकाता में भी बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने हिंदुओं पर हमले को मुद्दा बनाकर विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले का एक रंग बाकी था। वो रंग था सियासत का और सियासत के रंग को तस्वीर में भरने का काम कांग्रेस ने किया। हिंदुओं पर हमले को CAA से जोड़ दिया।