- एआईएमआईएम प्रमुख ने भारत में इस्लाम के आगमन को लेकर दावा किया है
- ओवैसी का कहना है कि भारत में इस्लाम व्यापारियों एवं सूफी संतों के जरिए आया
- इतिहासकारों का कहना है कि इस्लाम के आगमन पर ओवैसी पूरी बात नहीं बता रहे हैं
Asaduddin Owaisi : ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी लगातार सुर्खियों में हैं। भारत में इस्लाम की इंट्री पर उन्होंने एक अलग दावा किया है लेकिन क्या उनका यह दावा पूरी तरह से सही है। इस पर टाइम्स नाउ नवभारत ने देश के जाने-माने इतिहासकारों की राय जानी। इतिहासकारों का कहना है कि भारत में इस्लाम के प्रवेश पर ओवैसी अर्द्धसत्य बोल रहे हैं। उन्हें पूरी बात बतानी चाहिए। दरअसल, महाराष्ट्र के लातूर में ओवैसी ने कहा कि भारत में इस्लाम कारोबारियों, विद्वानों एवं सूफियों के जरिए आया। वह आक्रमण से नहीं आया। भारत में इस्लाम की शुरुआत सबसे पहले केरल में हुई।
दावे को इतिहासकारों ने आधा सत्य करार दिया
लातूर रैली में ओवैसी ने कहा कि 'मैं आरएसएस के मोहन भागवत से अनुरोध करता हूं कि वह अपने भाषणों में यह मत कहें कि मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे। इस देश में इस्लाम आक्रमण से नहीं आया। यह सबसे पहले केरल में आया। यह कारोबारियों, विद्वानों एवं सूफियों के जरिए आया।' AIMIM प्रमुख के इस दावे को इतिहासकारों ने आधा सत्य करार दिया है। इतिहासकारों का कहना है कि इस्लाम का प्रभाव भारत में पैगंबर मोहम्मद के समय से दिखने लगा था। आठवीं शताब्दी में देश में मुस्लिम बस्तियां बसने लगी थीं लेकिन 13वीं एवं चौदहवीं शताब्दी जबसे सियासी इस्लाम आया तब देश में धार्मिक विवाद की शुरुआत होने लगी। इसके पहले किसी तरह का विवाद नहीं होता था।
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केरल के त्रिशूर में इस्लाम की पहली मस्जिद
साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब के सुल्तान को खास तोहफा दिया। पीएम ने उन्हें चेरामन जुमा मस्जिद की प्रतिकृति भेंट की। केरल के त्रिशूर जिले की इस मस्जिद को भारत की पहली मस्जिद कहा जाता है। माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण 629 ईसवी के आसपास अरब के व्यापारियों ने कराया था। इस मस्जिद को आज भी भारत एवं सऊदी अरब के पुराने कारोबारी रिश्ते का प्रतीक माना जाता है।