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Hathras Case: उलझी हुई वारदात में कितने पेंच, अब आई एक और सनसनीखेज जानकारी

Updated Oct 09, 2020 | 19:52 IST

हाथरस केस में हर एक दिन नई नई जानकारियां सामने आ रही हैं। अब जो जानकारी सामने आई है वो और भी दिलचस्प है। बता दें कि इस केस की जांच एसआईटी कर रही है।

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मुख्य बातें
  • 14 सितंबर को हाथरस के बुलगढ़ी गांव में वारदात, पीड़िता के परिवार ने छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कराया
  • हालत खराब होने पर पीड़िता को अलीगढ़ भेजा गया बाद में दिल्ली के सफदरजंग में भर्ती कराया गया
  • 22 सितंबर को गैंगरेप की धारा जोड़ी गई, 29 सितंबर को पीड़िता का हुआ निधन

नई दिल्ली। हाथरस की बिटिया अब इस दुनिया में नहीं है। उसके बयान ही इस बात के आधार हैं कि उसके साथ क्या कुछ हुआ था। वो जिंदा होती तो बहुत कुछ अनसुलझी बातों का भी सच सामने आता कि आखिर उसके साथ क्या हुआ। अफसोस कि अब उन बयानों के साथ साथ एसआईटी जांच पर निर्भर होना होगा कि सच क्या था। हाथरस केस में तीन दिन 14 सितंबर, 22 सितंबर और 20 सितंबर का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। 14 सितंबर को वारदात हुई उस समय पुलिस के सामने पीड़िता ने बयान दिया था। लेकिन आठ दिन बाद यानी कि 22 सितंबर को दूसरा बयान आया और करीब 15 दिन तक मौत से संघर्ष के बीच वो हार गई। लेकिन 29 सितंबर की देर रात जिस तरह से उसके शव को जलाया गया मामले ने अलग रुख पकड़ा।

हाथरस केस में नई नई जानकारी
अब इस केस में हर रोज अलग अलग जानकारियां सामने आती हैं। मसलन पीड़िता और आरोपी संदीप में प्यार था। यही नहीं घटना वाले दिन मौके पर संदीप मौजूद ही नहीं था। संदीप ने जेल से खत लिखकर अपनी बेगुनाही का सबूत दे रहा है तो कुछ ऐसे लोग भी सामने आ रहे हैं कि संदीप तो मौके पर मौजूद ही नहीं था उसे जबरन फंसाया जा रहा है। 

कुछ लोग कर रहे हैं अलग दावा
संदीप के साथ ही तीन और आरोपी हैं। लेकिन मुख्य आरोपी संदीप है। पहले भी दावा किया जा रहा था कि जिस दिन वारदात हुई उस दिन वो नहीं था। लेकिन इसके साथ अब कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जिस दिन और जिस समय यह वारदात हुई संदीप अपने घर पर था और उसे घर पर ही देखा भी था। जिस जगह घटना घटी उसी के बगल में उसका भी खेत था। पीड़िता और उसके परिवार से जुड़े कुछ लोग पीड़िता लड़की पर दबाव बना रहे थे कि वो उसके साथ जो कुछ उसके लिए कोई और नहीं बल्कि संदीप ही जिम्मेदार था।

आखिर प्रतिवाद क्यों नहीं हुआ
इसके साथ एक और शख्स का कहना है कि अगर आप घटना के समय और जगह को देखें तो पीड़िता और उसकी मां दोनों के हाथ में दरांती थी। मान लीजिए कि एक पल को कोई बदमाशी कर भी रहा था तो उन्होंने हमला क्यों नहीं किया। अगर किसी महिला के साथ जोर जबरदस्ती हो और उसके पास हथियार जैसी कोई चीज हो तो क्या वो चुप बैठेगी। किसी न किसी रूप में वो प्रतिरोध जरूर करेगी। 

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