मुद्दा था राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लेकर कहे गए अपमानजनक संबोधन का, लेकिन मामला गर्मा गया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच हुई नोंक-झोंक पर। लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति के लिए जिस शब्द का इस्तेमाल किया, मैं वो शब्द खुद से दोहराना नहीं चाहती। लेकिन पहले से संसद में चल रहे हंगामे में इसे लेकर नया मुद्दा जुड़ गया। BJP देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के अपमान को लेकर हमलावर है तो कांग्रेस का आरोप है कि सोनिया गांधी का अपमान हुआ। सवाल पब्लिक का है कि क्या राष्ट्रपति के अपमान की काट के तौर पर कांग्रेस, सोनिया के अपमान का मुद्दा उछाल रही है? क्या सरकार और विपक्ष के बीच इतनी कड़वाहट बढ़ गई है कि देश की प्रथम नागरिक के सम्मान का मुद्दा पीछे हो जाएगा? कांग्रेस में 'परिवार' बड़ा या देश की प्रथम नागरिक ? और क्या संसद में निलंबित सांसदों का मुद्दा राजनीतिक ड्रामा है?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लेकर कहा गया शब्द राष्ट्रपति के पद की गरिमा, महिला के सम्मान और आदिवासी समाज की गरिमा के खिलाफ है। लेकिन इसे लेकर सोनिया गांधी और स्मृति ईरानी के बीच का संग्राम सरकार और विपक्ष के बीच की खाई चौड़ी कर गया। कांग्रेस का आरोप है कि सोनिया से स्मृति ने चिल्लाकर कहा - "You don't know me, who I am" जबकि बीजेपी का आरोप है कि सोनिया ने स्मृति से चिल्लाकर कहा - "Don't talk to me." दोनों पक्षों में से किसका वर्जन सही, किसका नहीं, मैं नहीं कह सकती। लेकिन इस नोंक-झोंक के पहले सदन में अधीर रंजन के बयान को लेकर स्मृति ईरानी सीधे सोनिया गांधी पर हमलावर थीं।
स्मृति ईरानी के इसी बयान के बाद सोनिया गांधी, BJP सांसद रमा देवी से बात करने के लिए रुकी थीं। इसी दौरान सोनिया और स्मृति के बीच बहस हुई। रमा देवी से सोनिया सवाल पूछ रही थीं कि अधीर रंजन के बयान पर उनका नाम क्यों लिया जा रहा है? आज सोनिया ये कहती भी सुनी गईं कि अधीर रंजन ने तो अपने बयान पर माफी मांग ली है।
अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर अपमानजनक बयान कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान दिया था। अब अधीर रंजन अपने इस बयान पर सफाई क्या दे रहे हैं। आपको ये सुनवाती हूं। अधीर रंजन पहले भी अपने बयानों पर घिर चुके हैं। और ये सफाई देते रहे हैं कि मेरी हिंदी कमजोर है। क्या राष्ट्रपति हिंदी का ऐसा शब्द है जिसे भारत में रहने वाला कोई गैर हिंदी भाषी नहीं जानता होगा?
2007 में प्रतिभा पाटिल जब पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं, तब मीडिया में ऐसी बहसें चली थीं कि महिला राष्ट्रपति के लिए क्या कोई दूसरा हिंदी संबोधन हो सकता है? ये बहस तभी खत्म हो गई थी कि राष्ट्रपति चाहे पुरुष बने या महिला, उनका संबोधन का शब्द राष्ट्रपति ही हो सकता है।
इस Context में आपको ये भी याद दिला दूं कि राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मु की उम्मीदवारी के साथ ही विपक्ष के कुछ बयानों पर सवाल उठे हैं। कांग्रेस के नेता अजॉय कुमार ने कहा था कि "द्रौपदी मुर्मु भारत की एक Evil Philosophy यानी बुरी विचारधारा की प्रतिनिधि हैं। उन्हें आदिवासी का प्रतीक नहीं मान सकते।" RJD के नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि "राष्ट्रपति भवन में कोई मूर्ति तो नहीं चाहिए।"
ऐेसे में द्रौपदी मुर्मु को लेकर सामने आया बयान Slip of Tongue या हिंदी कम जानने का मुद्दा है या फिर ये सोच का गिरता स्तर है? द्रौपदी मुर्मु को लेकर कहा गया शब्द कांग्रेस के ऐसे प्रदर्शन के दौरान दिया गया जहां कांग्रेस पूरी ताकत से सरकार पर हमलावर थी। जाहिर तौर पर दोनों पक्षों की लड़ाई राष्ट्रपति के सम्मान पर कम और आपस की खींचतान ज्यादा हो सकती है। ये खींचतान कैसी है इसे निलंबन को लेकर विपक्षी सांसदों के 50 घंटे के दौरान का AAP सांसद संजय सिंह का ये वीडियो उजागर करता है।
सवाल पब्लिक का
1. क्या सोनिया गांधी और स्मृति ईरानी के बीच हंगामा सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अहंकार का नतीजा है?
2. क्या राष्ट्रपति के लिए अपमानजनक संबोधन के जवाब में कांग्रेस सोनिया के सम्मान का मुद्दा उछाल रही है?
3. सरकार-विपक्ष की तनातनी में संसद के मॉनसून सत्र के नुकसान की भरपाई कैसे होगी ?
4. संसद के अंदर हर दिन नोंक-झोंक..संसद परिसर में धरना..फिर सरकार और विपक्ष में किस फोरम पर बात होगी ?