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अच्छा होता मन की बात की जगह लद्दाख की बात होती, अधीर रंजन चौधरी ने पूछा चीन का नाम क्यों नहीं लेते हैं पीएम

Updated Jun 28, 2020 | 17:06 IST

Maan ki Baat: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें दोस्ती निभाने के साथ दुश्मन की आंखों में आंखे डालकर जवाब देने आता है। लेकिन कांग्रेस ने पीएम मोदी के बयान की खिल्ली उड़ाई।

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मुख्य बातें
  • मन की बात कार्यक्रम की कांग्रेस ने उड़ाई खिल्ली, अच्छा होता लद्दाख की बात होती
  • पीएम एक बार चीन का जिक्र नहीं करते आखिल क्या है वजह- अधीर रंजन चौधरी
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोस्ती के साथ साथ आंखों में आंख डालकर करते हैं बात

नई दिल्ली। मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि अगर कोई आंख दिखाएगा तो उसे किस तरह जवाब देना है वो हमें पता है। भारत की संप्रभुता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है। लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बेहतर होता कि पीएम मन की बात की जगह लद्दाख की बात करते। उन्होंने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि गलवान प्रकरण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी चीन का नाम नहीं ले रहे हैं। 

'चीन पर पीएम मोदी ने क्यों साधी है चुप्पी'
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी एक बार ही सही आप मन की बात की जगह लद्दाख की बात कर लेते। घुसपैठ के बाद आपने एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया आप चीन के नाम पर चुप्पी क्यों साध रखे हैं। उन्होंने कहा  कि आज देश जवाब चाहता है कि पूर्वी लद्दाख में क्या हो रहा है। आखिर पीएम नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर चीन का नाम लेने से क्यों बच रहे हैं। 

'दोस्ती और दुश्मनी दोनों निभाते हैं'
मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिन लोगों की नजर लद्दाख में उठी उन्हें करारा जवाब दिया जा चुका है। लेकिन उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया। पीएम मोदी ने कहा कि अगर भारत को यह पता है कि दोस्ती कैसे निभाई जाती है तो यह भी पता है कि दुश्मन के आंखों में आंख डालकर किस तरह बात की जाती है। हमारे वीर सैनिकों ने साबित कर दिया कि मातृभूमि की रक्षा के लिए वो अपना सर्वस्व न्योछावर कर सकते हैं। 



अधीर रंजन चौधरी की थी यह मांग
मन की बात शुरू होने से पहले दिन में, एआर चौधरी ने पीएम मोदी से लद्दाख क्षेत्र के घटनाक्रम पर प्रकाश डालने और देश के लोगों को इसके बारे में बताने का आग्रह किया।उन्होंने यह भी कहा कि भारत को चीन को भारतीय भूमि वापस देने के लिए एकतरफा राजी नहीं होना चाहिए। लेकिन चीन को भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए मजबूर करने के लिए माहौल बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम उनसे पवित्र भूमि नहीं मांग सकते, बल्कि उन्हें हमारी पवित्र भूमि से बाहर निकाल सकते हैं।

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