- मौलाना महमूद मदनी का बयान-.हम अल्पसंख्यक नहीं दूसरी सबसे बड़ी आबादी
- शरीयत से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं, नकारात्मक राजनीति की जा रही है-मदनी
- पाकिस्तान भेजने वाले खुद पाकिस्तान जाएं- मदनी
देवबंद में देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की बैठक में ज्ञानवापी-मथुरा से लेकर कॉमन सिविल कोड पर पेश प्रस्ताव में ना केवल उकसाने वाली बातें कहीं गई बल्कि मंच से भी मदनी ने भड़काने का काम किया। मदनी ने कहा जिसे हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं वो कहीं और चलें जाएं। मजमे को संबोधित करते हुए मदनी ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान भेजने की धमकी देने वाले खुद पाकिस्तान चले जाएं।
बदरुद्दीन का बयान
वहीं प्रस्ताव में ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले को लेकर सवाल उठाए गए। इतना ही नहीं कॉमन सिविल कोड को लेकर प्रस्ताव में धमकी दी गई है कि UCC इस्लाम में दखल है और देश के मुस्लिम इसे बर्दाशत नहीं करेंगे। AIUDF के मौलाना बदरुद्दीन अजमल भी इस जमीयत में पहुंचे थे। टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि ज्ञानवापी पर सब कुछ एक तरफा है औऱ मुस्लिमों के आंतरिक मामलों में दखल दिया जा रहा है।
सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन है जमीयत
जमीयत के बयान के मुताबिक, मुस्लिम संगठन ने सामाजिक सौहार्द के लिये सद्भावना मंच गठित किये जाने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी जिसके तहत जमीयत ने देश में 1,000 सद्भावना मंच स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद दावा किया कि ‘छद्म राष्ट्रवाद’ के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा है जो न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक है। आपको बता दें कि जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की स्थापना 1920 में हुई थी। इसने आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। संगठन ने 1947 में बंटवारे का विरोध किया था। जमीयत देश में मुसलमानों के कल्याण के लिए काम करने वाला सबसे बड़ा संगठन है।
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