- बारामूला में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबल के पांच जवान शहीद हुए
- मुठभेड़ में लश्कर ए तैयबा का कमांडर सज्जाद उर्फ हैदर मारा गया है
- आतंकियों ने सुरक्षाबलों के गश्ती दल पर किया हमला, फिर शुरू हुई मुठभेड़
श्रीनगर : बारामूला में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल सेना के जवान ने मंगलवार को दम तोड़ दिया। आतंकियों ने सोमवार को बारामूला जिले के क्रीरी इलाके में सुरक्षाबलों के गश्ती दल पर हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के दो जवान एं पुलिसकर्मी शहीद हुए। मुठभेड़ के दौरान सेना के दो जवान भी घायल हुए। इस मुठभेड़ में सेना ने लश्कर ए तैयबा के कमांडर सज्जाद उर्फ हैदर सहित तीन आतंकियों को मार गिराया।
टाइम्स नाउ के फरीद मीर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बारामूला मुठभेड़ सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौतपूर्ण ऑपरेशन बन गया है। यह मुठभेड़ तब शुरू हुई जब आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों के एक गश्ती दल पर हमला किया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए। इसके बाद सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई शुरू की जिसमें दो आतंकवादी मारे गए। मारे गए आतंकवादियों में जश्कर का कमांडर भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक मुठभेड़ शुरू होने पर वहां और आतंकवादी आ गए। मीर ने बताया कि इस गोलीबारी में सेना के दो और जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में इनमें से एक जवान ने सोमवार को दम तोड़ा जबकि एक जवान आज शहीद हुआ। मीर का कहना है कि ऐसी माना जा रहा है कि इस इलाके में लश्कर ए तैयबा का कमांडर छिपा हुआ है।
टॉप टेन आतंकियों में शुमार था सज्जाद
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के मुताबिक सज्जाद घाटी के टाप टेन आतंकवादियों में शुमार था। सिंह का कहना है कि सज्जाद 2016 से आतंकी घटनाओं में शामिल था और वह मारे जा चुके आतंकवादी बुरहान वानी की तरह सक्रिय था। सज्जाद भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वसीम बारी और उनके परिवार के दो सदस्यों की हत्या में शामिल था। आतंकवादियों ने बारी और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या जुलाई में की।
आतंकियों की कमर टूटी
पुलिस अधिकारी ने कहा, 'सज्जाद कई परिवारों को उजाड़ने के लिए जिम्मेदार है। हमारे जवानों का शहीद होना एक अपूरणीय क्षति है लेकिन पुलिस, सीआरपीएफ और सेना ने संयुक्त रूप से जिस तरीके से इस ऑपरेशन को चलाया है वह एक सफल अभियान है।' हाल के दिनों में सुरक्षाबलों के आतंक विरोधी अभियान में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए हैं। कमांडरों के मारे जाने से आतंकी संगठनों की कमर टूट गई है।