- जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के समीप बंजर भूमि पर चले ट्रैक्टर
- बीएसएफ की मदद से किसानों ने फिर शुरू की एलओसी के समीप खेती
- इसी साल फरवरी में हुआ था भारत-पाक के बीच सीजफायर समझौता, तब से है यहां शांति
जम्मू: भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर गोलीबारी से हुई तबाही की तस्वीरें तो आपने कईं बार देखी होंगी लेकिन आज TIMES NOW नवभारत पर हम आपको वो तस्वीरें दिखा रहे हैं, जो इससे पहले आपने शायद ही कभी देखी हों। LOC पर बड़े ही आराम से किसान खेती कर रहे हैं, ट्रैक्टर चल रहे हैं, बीज भी बोए जा रहे हैं। जहां ये किसान खेती कर रहे हैं वहां से पाकिस्तान की सीमा कुछ ही मीटर की दूरी पर है। ये सब मुमकिन हुआ है हमारे जांबाज सैनिकों की बदौलत, जिन्होंने सरहद पर अपनी पकड़ पूरी तरह मजबूत कर ली है।
दो दशकों से सपना बना था खेती करना
ये खेती इंटरनेशनल बॉर्डर पर हीरानगर सेक्टर में तारबंदी के आगे जीरो लाइन पर हो रही है जहां पिछले 2 दशकों से खेती करना महज एक सपना ही था। लंबे समय से किसान BSF और सरकार से अपने ही खेतो में खेती करने की गुहार लगा रहे थे। आखिरकार बीएसएफ ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर किसानों को उनकी फेंसिंग के आगे की जमीन पर खेती करने की इजाज़त दे दी।
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फरवरी से नहीं हुई है गोलीबारी
इस साल 25 फरवरी को भारत - पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ था। 18 साल के बाद LOC पर 2003 में हुए सीजफायर समझौते का पालन करने पर रजामंदी बनी। 25 फरवरी के बाद से पाकिस्तान की ओर से फायरिंग या गोलाबारी की कोई घटना रिपोर्ट नहीं हुई है। किसानों के साथ मिलकर एग्रीकल्चर विभाग फिलहाल 150 एकड़ जमीन को जोत रहा है जिसमे से 50 एकड़ जमीन जोत ली गई है। किसानों को एग्रीकल्चर विभाग ने ही मुफ्त बीज और खाद मुहैया करवाई है।
19 साल खेती ना होने की वजह से ये जमीन पूरी तरह बंजर हो चुकी थी लेकिन अब जल्द ही किसानों की लगन और बीएसएफ से जवानों के साहस के दम पर कुछ ही महीनो में इस बंजर हो चुकी जमीन पर फसल तैयार होगी।
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