- मोहाली स्थित पंजाब पुलिस की खुफिया विभाग की इमारत पर सोमवार को हुआ हमला
- इमारत पर रॉकेट से आरपीजी दागा गया, हालांकि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ
- पुलिस कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है, हमले में रिंदा के शामिल होने का शक
Mohali Attack : मोहाली हमले की कड़ियां सुलझाने के लिए पंजाब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान का के-2 डेस्क का हाथ हो सकता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का यह के-2 (कश्मीर-खालिस्तान) डेस्क भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा एवं आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है। सूत्रों का कहना है कि यह ग्रुप अब तक आठ टार्गेटेड किलिंग को अंजाम दे चुका है।
के-2 डेस्क का हिस्सा है खालिस्तानी आतंकी रिंदा
इस हमले के बाद ही इस बात की आशंका जताई जाने लगी कि धमाके के पीछे खालिस्तानी आतंकी हो सकते हैं और जिस तरह से इस हमले में हरविंदर सिंह रिंदा का नाम उभरा है उससे यह आशंका और प्रबल हो गई है कि इस हमले की साजिश के तार कहीं न कहीं पाकिस्तान में जुड़े हो सकते हैं। रिंदा पाकिस्तान में आईएसआई का हैंडलर है। वह पाकिस्तान से ही भारत में अपनी गतिविधियां चलाता है। वह के-2 डेस्क का हिस्सा भी है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि मोहाली हमले के पीछे के-2 डेस्क का हाथ हो सकता है। के-2 डेस्क 2016 से कश्मीर में सक्रिय बताया जाता है।
ड्रग से मिले पैसों को आतंक फैलाने में इस्तेमाल
के-2 आतंकी ग्रुप अपनी फंडिंग के लिए ड्रग की तस्करी करता है। ड्रग से मिले पैसों को आतंकी गतिविधियों में लगाया जाता है। सुरक्षा एजेंसियां मामले की तह तक जाने में जुटी हैं। मोहाली पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज कर कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ कर रही है। इस हमले में इस्तेमाल रॉकेट लॉन्चर को पुलिस पहले ही बरामद कर चुकी है। अब तक की जांच में मिले सुराग को पुलिस बेहद बारीकी से जांच कर रही है।
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सोमवार रात को हुआ हमला
मोहाली में पंजाब पुलिस की खुफिया विभाग की इमारत पर सोमवार को हुए आरपीजी हमले पर राज्य के डीजीपी वीके भावरा ने मंगलवार को कहा कि यह हमला हमारे लिए एक चुनौती है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा लगता है कि विस्फोटक में टीएनटी का इस्तेमाल हुआ। हमले जिस समय हुआ उस समय इमारत के कमरे में कोई नहीं था इसलिए जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ।