- सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया
- हॉकी के 'जादूगर' कहे जाते हैं मेजर ध्यानचंद, ओलंपिक में कई बार टीम को गोल्ड दिलाया
- पीएम मोदी ने नाम बदले की जानकारी दी, कहा-लंबे समय से नाम बदलने की मांग की जा रही थी
नई दिल्ली : सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल दिया है। अब इसे राजीव गांधी खेल रत्न नहीं बल्कि इसे मेजर ध्यान चंद पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी है। पीएम ने शुक्रवार को अपने एक ट्वीट में कहा है कि बहुत लंबे समय से खेल रत्न का नाम बदलने की मांग की जा रही थी। लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए नाम बदलने का फैसला किया गया है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट के अंत में 'जय हिंद' लिखा है। राजीव गांधी का नाम बदले जाने पर कांग्रेस पार्टी सरकार के इस कदम पर सवाल उठा सकती है।
गौतम गंभीर ने कहा-इस पर राजनीति न हो
खेल रत्न का नाम बदले जाने की घोषणा के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। खुल पुरस्कार का नाम खिलाड़ी के नाम पर होना चाहिए। यह फैसला बहुत पहले लिया जाना चाहिए। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है। हॉकी टीम को 41 साल बाद ओलंपिक में पदक मिला है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला-कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के नेता सुबोध कांत सहाय ने कहा कि पीएम का यह फैसला देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। राजीव गांधी ने देश में पहला एशियाड कराया। उनका खले में योगदान बहुत ज्यादा है। राजीव गांधी का नाम बदला जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि राजीव गांधी का नाम खेल की वजह से नहीं बल्कि राजनीति के चलते बदला गया है।
हॉकी के 'जादूगर' कहे जाते हैं मेजर ध्यानचंद
खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991-1992 में हुई। खेल के क्षेत्र का यह सबसे बड़ा पुरस्कार है। शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद को पहली बार यह पुरस्कार मिला। अब तक लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्लई, फुलेला गोपीचंद, अभिनव बिंद्रा, अंजू बॉबी, जॉर्ज मैरी कॉम और रानी रामपाल को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। मेजर ध्यानचंद को हॉका का 'जादूगर' कहा जाता है। इन्होंने 1926 से 1949 तक हॉकी के अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले और 400 से ज्यादा गोल किए। ध्यान चंद का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। ओलंपिक में उनकी टीम ने 1928, 1932 और 1936 में गोल्ड मेडल जीता।