- उन्नाव रेप आरोपी सेंगर के बीजेपी में अब भी कई हमदर्द मौजूद हैं
- मल्लावां से बीजेपी विधायक आशीष सिंह का एक वीडियो वायरल हो रहा है
- उन्नाव रेप कांड का आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर सीतापुर जेल में बंद है
नई दिल्ली:उन्नाव रेप कांड के आरोपी विधायक को बीजेपी ने भले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया हो लेकिन पार्टी में अब भी उनके कई हमदर्द मौजूद हैं और लो सेंगर से अपना मोह छिपा नहीं पा रहे हैं, ऐसे ही हरदोई की बिलग्राम मल्लावां विधानसभा से बीजेपी विधायक आशीष सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें वो आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर के प्रति अपनी भावनाएं जाहिर कर रहे हैं।
विधायक आशीष सिंह ने कहा, 'कठिनाइयों से गुजर रहे हैं हम सब के भाई आदरणीय कुलदीप सेंगर जी। समय का कालचक्र कहा जाएगा, फिर भी हम सबकी शुभकामनाएं हैं जितनी कठिनाई है उससे लड़कर वो आपका नेतृत्व करने पहुंचेंगे।'
उन्नाव रेप कांड मामले और इस कांड की पीड़िता के रायबरेली में हुए एक्सीडेंट की घटना मामले की गूंज देशभर में है,इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए सारे केस उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांस्फर करने का आदेश दिया था। वहीं रायबरेली एक्सीडेंट की जांच के लिए सीबीआई को 7 दिन का समय दिया गया है।
सीबीआई की टीम शनिवार की दोपहर सीबीआई की एक टीम लखनऊ से सीतापुर जेल पहुंची, गौरतलब है कि उन्नाव रेप कांड का आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर सीतापुर जेल में बंद है।
इससे पहले शुक्रवार को उन्नाव गैंगरेप पीड़िता के जानलेवा एक्सीडेंट मामले की जांच के लिए सीबीआई की एक टीम लखनऊ के ट्रामा सेंटर पहुंची थी, जहां पीडि़त और उसके वकील भर्ती हैं।
वहीं आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के तीनों हथियारों का लाइसेंस उन्नाव जिला प्रशासन ने रद्द कर दिया है। सेंगर के नाम पर एक बंदूक, एक राइफल और रिवाल्वर शामिल हैं। जिलाधिकारी ने इस प्रकरण की सुनवाई की थी जिसमें विधायक के पक्ष के वकील नहीं पहुंचे थे बाद में विधायक के तीनों हथियारों का लाइसेंस रद्द करने का आदेश दे दिया।
गौरतलब है कि उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता अपने परिजनों समेत रायबरेली से उन्नाव लौटते समय रास्ते में सड़क हादसे का शिकार हो गई थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम आदेश में उन्नाव रेप केस से जुड़े सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित मामलों की सुनवाई 45 दिन के अंदर पूरी करने का आदेश दिया था।