- कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
- ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कमलनाथ सरकार ने एक बड़ी जांच शुरू करने की तैयारी की
- 2014 में भी सुरेंद्र श्रीवास्तव ने ज्योतिरादित्य और उनके सहयोगियों पर की थी शिकायत
भोपाल: कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुश्किलें बढ़ती हुई नज़र आ रही हैं। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार सिंधिया के खिलाफ जांच कराने की तैयारी कर रही है। राज्य के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EWO) ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कथित जमीन घोटाले मामले में फिर से जांच शुरू कर दी है। यह मामला हजारों करोड़ रुपये के जमीन घोटाले का है जिसमें एक ही जमीन को कई बार बेचने का आरोप है।
2014 में भी दर्ज हुई थी शिकायत
शिकायत ग्वालियर निवासी सुरेंद्र श्रीवास्तव ने की है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सिंधिया और उनके परिवार ने जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा करते हुए आवेदक की जमीन कम कर दी है। उन्होंने आर्थिक अपराध शाखा से इस कथित जमीन घोटाले की दोबारा जांच कराने की मांग की है। इससे पहले श्रीवास्तव ने 2014 में भी यह आरोप लगाया था जिसकी जांच भी हुई थी लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया।
जिस तरह से मध्य प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम चला है उसके बाद जमीन घोटाले की दोबारा जांच करना कहीं ना कहीं राजनीति से प्रेरित लगता है। वहीं अपने पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए सिंधिया ने कहा कि वो इसका स्वागत करते हैं लेकिन इसका जवाब नहीं देंगे क्योंकि 18 साल की जनसेवा ही इसका जवाब है।
सिंधिया का भव्य स्वागत
इससे पहले बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार भोपाल पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया का भव्य स्वागत किया गया। बीजेपी में शामिल होने को खुद के लिए भाग्यशाली बताते हुए सिंधिया ने भाजपा कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि वह उनके लिए पूरे दिल से मेहनत करेंगे। भाजपा में शामिल होने के बाद पहली दफा भोपाल में प्रदेश पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सिंधिया ने कहा, ‘जिस संगठन, जिस परिवार में मैंने बीस साल गुजारे हैं। मेरे मेहनत, लगन, संकल्प के साथ अपना खून और पसीना वहां दिया। उस सब को छोड़कर मैं अपने आप को आपके हवाले कर रहा हूं।’
खतरे में कमलनाथ सरकार
आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को बीजेपी में शामिल हुए हैं। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई है। सिंधिया खेमे के 22 विधायकों बागी रूख अपनाते हुए अपने त्यागपत्र राजभवन को भेज दिए हैं। इनमें से 19 विधायक फिलहाल बेंगलुरु के एक होटल में रूके हुए हैं जहां गुरुवार को कांग्रेस नेता और कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी ने उनसे मिलने की असफल कोशिश भी की थी।