नई दिल्ली : भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल ने नई दिल्ली के 5-स्टार होटल पर महीने के 50 लाख रुपए खर्च किए हैं। इन 5-स्टार होटल प्रॉपर्टी के अंतर्गत लोकपाल का ऑफिस स्पेस किराए पर लिया जाता था। एक आरटीआई से हुए खुलासे में ये बात सामने आई है। आरटीआई से ये भी पता चला है कि जब से इस लोकपाल का गठन हुआ है तब से लेकर अब तक अलग-अलग सरकारी संस्थाओं में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ हजारों शिकायतें आ चुकी हैं पर इनमें से एक भी मामले पर अब तक पूरी तरह से जांच नहीं हो पाई है।
आरटीआई एक्ट के तहत मांगे के एक जवाब में सामने आया है कि लोकपाल अस्थायी रूप से नई दिल्ली में अशोका होटल से चल रहा है क्योंकि इसके पास राष्ट्रीय राजधानी में स्थायी कार्यालय नहीं है। भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल इस होटल के लिए 50 लाख रुपए महीना किराया देती है और अब तक इसने 3.85 करोड़ रुपयों का भुगतान होटल को कर चुकी है।
आरटीआई से ये भी पता चला है कि 31 अक्टूबर 2019 तक सरकारी संस्थाओं के खिलाफ करीब 1,160 शिकायतें लोकपाल के पास आ चुकी हैं और इनमें से किसी भी मामले में अब तक पूरी जांच प्रक्रिया नहीं हो पाई है।
आरटीआई फाइल करने वाले 18 वर्षीय छात्र शुभम खेत्री ने टाइम्स नाऊ को इस बारे में बताया। शुभम ने बताया कि लोकपाल के लिए केवल होटल रेंट में इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी रुपए खर्च करना बहुत बड़ी बात है। ये सारे रुपए सरकारी फंड के हैं। लोकपाल के लिए दिल्ली में किसी 5-स्टार होटल से बाहर भी किसी स्थान पर ऑफिस स्थापित किया जा सकता था। ऐसा नहीं होना चाहिए।
हैरानी की बात तो ये है कि इन मामलों में अब तक कोई भी जांच नहीं हुई है। 50 लाख किराए के अलावा आरटीआई के जवाब में ये भी कहा गया है कि सरकार ने अभी तक आरटीआई फाइल करने के लिए कोई आधिकारिक फॉर्मैट नहीं बनाया है। 8 महीने पूरे होने को हैं और अभी तक इसका कोई आधिकारिक फॉर्मैट नहीं है।
इसके पहले मांगे एक जवाब में लोकपाल जस्टिस पीसी घोष ने कहा कि ऑफिस के लिए एक स्थायी जगह की तलाश किया गया है। जल्द ही इसमें लोकपाल का ऑफिस सेटअप किया जाएगा। इसी साल मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट जज पीसी घोष को केंद्र सरकार के द्वारा भारत का पहला लोकपाल घोषित किया गया था।