महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार संकट में आ गई है। कल तक उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी PWD मंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर दी है। शिंदे मुंबई से तकरीबन 300 किलोमीटर दूर सूरत के ली मेरिडियन होटल में अपने समर्थक शिवसेना विधायकों के साथ मौजूद हैं। शिंदे समेत शिवसेना के बागी विधायकों की संख्या 35 बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक CM उद्धव ठाकरे ने शिंदे से फोन पर बात की है, लेकिन शिंदे ने BJP के साथ आने की शर्त रखी है। आज जब एकनाथ शिंदे ने अपनी ताकत दिखाई तो उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग में शिवसेना के सिर्फ 14 विधायक आए।
शिवसेना में सेंध लग गई है ये बात पार्टी के नेताओं को तब पता लगी जब कल महाराष्ट्र विधानपरिषद चुनाव के नतीजे आए। BJP को अपनी ताकत से 28 वोट ज्यादा मिल गए। वैसे शिवसेना ने संकेतों को पढ़ने में देरी की। क्योंकि राज्यसभा चुनाव में भी BJP का एक्स्ट्रा उम्मीदवार महाराष्ट्र में जीता था।
महाराष्ट्र के समीकरण को समझिए:
20 जून का समीकरण था- 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में अघाड़ी की सरकार को शिवसेना के 55, एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायकों का समर्थन था। विपक्ष में बैठी बीजेपी के पास 106 विधायक थे। अन्य 29 थे। 1 सीट खाली थी। लेकिन आज 21 जून का समीकरण देखिए। शिवसेना की ताकत घटकर 20 रह गई है। एनसीपी 53, कांग्रेस 44 है इधर सरकार विरोधी खेमे में शिवसेना के 35 बागी, बीजेपी के 106 विधायक हैं। अन्य 29 विधायक हैं।
महाराष्ट्र में मौजूदा विधायकों की संख्या के मुताबिक बहुमत के लिए 145 का समर्थन जरूरी है। 35 विधायकों की बगावत से महाराष्ट्र विकास अघाड़ी का नंबर 134 हो जाता है। ये 35 विधायक बीजेपी के साथ आ जाएं तो उनका नंबर भी 141 ही होता है। दलबदल कानून के मुताबिक शिवसेना में टूट के लिए कम से कम 37 विधायकों का समर्थन जरूरी है।
अब ताजा राजनीतिक हालात के मुताबिक महाराष्ट्र में जो सियासी संभावनाएं बन सकती हैं, उसे भी समझ लीजिए:
पहली संभावना
- 37 MLA के साथ शिंदे शिवसेना से हटेंगे
- 2/3 MLA, दल-बदल कानून प्रभावी नहीं होगा
- बीजेपी को 37 विधायकों के साथ सपोर्ट मिलेगा
- बीजेपी+ की सरकार = 150 ( बहुमत से 5 ज्यादा )
दूसरी संभावना
- एकनाथ शिंदे वापस उद्धव के पास आते हैं
- शिंदे को बेहतर विभाग, बड़ी पोजिशन मिलती है
- शिंदे समर्थकों को मनचाहा मंत्री पद मिलता है
- महाअघाड़ी सरकार बच जाएगी
तीसरी संभावना
- एकनाथ शिंदे 37 MLA नहीं जुटा पाए तो
- दल-बदल कानून लागू होगा
- महाअघाड़ी सरकार बच जाएगी
- शिंदे हट भी जाएंगे तो MVA की ही सरकार रहेगी
चौथी संभावना
- महाराष्ट्र में 'राष्ट्रपति शासन' लगेगा
- फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा भंग की सिफारिश हो जाएगी
- CM उद्धव ठाकरे के पास ये अधिकार है
- महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बाद दोबारा चुनाव होंगे