- एकनाथ शिंदे के बगावती सुर से संकट में शिवसेना
- अगर सरकार में नहीं रहे तो विपक्ष में बैठेंगे- एनसीपी
- उद्धव ठाकरे बागियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें- शरद पवार
अगर एकनाथ शिंदे कैंप के दावों पर यकीन करें तो उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार अल्पमत में है। इन सबके बीच राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है। शिवसेना के बागी विधायकों का कहना है कि उद्धव जी ने जो भी बातें कहीं वो भावनात्मक तौर पर तो सही है। लेकिन जमीन पर उन्होंने क्या किया। 2.5 साल से उनके दरवाजे बंद थे। विधायकों को जो भी दिक्कत परेशानी होती थी। उसे एकनाथ शिंदे जी ही सुनते थे। लेकिन इन सबके बीच एनसीपी के सुप्रीमो लीडर शरद पवार ने कहा कि उन्होंने उद्धव ठाकरे से पहले ही सख्त रुख अपनाने को कहा । लेकिन अब जो भी हालात हैं उसमें एनसीपी, शिवसेना के साथ है।
इस लिए हुए बागी- संजय शिरसाट
शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से ‘अपमान’ का सामना कर रहे थे जिसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया ।औरंगाबाद (पश्चिम) से विधायक शिरसाट ने 22 जून को लिखे पत्र में दावा किया कि शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी 'वर्षा' तक पहुंचने नहीं दिया। ‘वर्षा’ मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है।
उन्होंने कहा कि 'मंत्रालय' जाने का तो सवाल ही नहीं था, क्योंकि वहां मुख्यमंत्री कभी नहीं आए।पत्र को शिंदे ने अपने ट्विटर पेज पर पोस्ट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि ये शिवसेना के विधायकों की भावनाएं हैं।पत्र में शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने पार्टी के विधायकों की शिकायतें, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों और निधि से जुड़े मामलों के बारे में उनकी बात सुनी, साथ ही सहयोगी कांग्रेस और राकांपा के साथ उनकी समस्याओं को भी सुना।