'न्यूज की पाठशाला' में बात हुई तालिबान वाले अफगानिस्तान की। पाठशाला में सबसे पहले तालिबान का 'खेल खत्म' करने वाला चैप्टर खुला। गन दिखाकर रन रोकने वालों की क्लास लगी। पाठशाला में तालिबान का वो चैप्टर जिसमें महिलाओं से नफरत ही नफरत है। तालिबान 2.0 का वर्जन अपडेट नहीं हुआ। इस बार भी वही काम तालिबान कर रहा है, जो काम उसने पहले के राज में किया था। महिला क्रिकेट टीम को बैन कर दिया, Co-education बैन कर दिया है। छात्राओं को कोई पुरुष नहीं पढ़ा सकता। महिलाओं की तस्वीरों पर बैन लगा दिया। सरकार में किसी महिला को नहीं रखा गया। अफगान महिलाएं अब क्रिकेट नहीं खेल सकती। तालिबान को स्पोर्ट्स में महिलाएं पसंद नहीं हैं।
तालिबान के कल्चर कमीशन के डिप्टी हेड ने कहा है कि महिलाओं को स्पोर्ट्स नहीं खेलने दिया जाएगा। इसमें क्रिकेट भी शामिल है। महिलाओं का क्रिकेट खेलना जरूरी नहीं है। क्रिकेट खेलकर महिलाएं क्या कर लेंगी। क्रिकेट खेलने के वक्त महिलाओं का चेहरा और शरीर ढका नहीं होगा। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। अगर महिलाएं क्रिकेट खेलेंगी तो उनकी तस्वीरें छपेंगी। लोग उन्हें देखेंगे। और इस्लामिक अमीरात में ये नहीं चलेगा। महिलाएं कोई ऐसा खेल ना खेलें, जिसमें दुनिया उन्हें देखे।
तालिबान को महिला क्रिकेट से दिक्कत है। लेकिन दुनिया को तालिबान से दिक्कत है। ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट बोर्ड ने वॉर्निंग दी है कि अगर तालिबान ने महिला क्रिकेट पर बैन लगाया तो ऑस्ट्रेलिया अफगानिस्तान के साथ टेस्ट मैच रद्द कर देगा। नवंबर में अफगान पुरुष टीम ऑस्ट्रेलिया जाने वाली है, वहां ऑस्ट्रेलिया का अफगानिस्तान से टेस्ट मैच है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि क्रिकेट सभी का खेल है। वो हर स्तर पर महिलाओं के खेलने का सपोर्ट करते हैं। उन्हें पता चला है कि अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट को सपोर्ट नहीं किया जाएगा। ऐसे में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के पास होबार्ट में होने वाले टेस्ट मैच के लिए अफगानिस्तान की मेजबानी ना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
अफगानिस्तान में क्रिकेट के भविष्य पर सवाल उठ गए हैं क्योंकि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ICC का नियम कहता है कि पुरुष टीम के साथ-साथ महिला टीम भी हर हाल में होनी चाहिए। ICC में 12 सदस्य देश हैं, इनमें सिर्फ अफगानिस्तान में महिलाओं की एक्टिव टीम नहीं है। 2002 में अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मान्यता मिली थी। 2010 में अफगानिस्तान में पहली बार महिला क्रिकेट टीम बनी। 2012 में महिला टीम ने देश से बाहर पहला टूर्नामेंट खेला लेकिन अब तक इसने कोई ICC टूर्नामेंट नहीं खेला है। 2020 में अफगान क्रिकेट बोर्ड ने 25 महिला क्रिकेटर्स से कॉन्ट्रैक्ट किया। तालिबान के ना होने के बावजूद महिला टीम के लिए हालात अच्छे नहीं थे। काबुल के स्टेडियम में उनका कैंप लगता था तो वहां किसी पुरुष के जाने की परमिशन नहीं होती थी। अफगानिस्तान में खेलते हुए विकेट लेने या छक्का मारने पर महिला खिलाड़ी खुशी से झूम नाच नहीं सकती थी। अपनी खुशी का इजहार खुलकर नहीं कर सकती थीं। तालिबान के पुराने राज में तो इन्हें घर से निकलना ही अलाउड नहीं था।
एक बड़ा सवाल ये है कि इस वक्त अफगानिस्तान की महिला टीम कहां है?
- वो महिला क्रिकेटर कहां हैं, जिसने क्रिकेट बोर्ड ने कॉन्ट्रैक्ट किया था
- ये बताया जा रहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद महिला क्रिकेटर अंडरग्राउंड हो गईं
- महिला क्रिकेट टीम के सदस्यों की तालिबान तलाश कर रहा है
- टीम के कई सदस्यों को तालिबान की तरफ से धमकी मिली है
- कई महिला खिलाड़ियों ने खुद को घर में कैद कर लिया है
- कई क्रिकेट खिलाड़ियों ने अपनी किट छिपा दी है या जला दी है
- कई ऐसी प्लेयर हैं जो अफगानिस्तान छोड़कर विदेश भाग गई हैं
- महिला क्रिकेटर रोया शमीम अपनी 2 बहनों के साथ कनाडा भाग गई