नई दिल्ली: सरकार ने राज्यसभा में कहा है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा विशेष रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत की कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। हालांकि कहा कि दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। पहली लहर में 3095 मीट्रिक टन की तुलना में यह लगभग 9000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जिसके बाद केंद्र को राज्यों के बीच समान वितरण की सुविधा के लिए कदम उठाना पड़ा।
इस सवाल के जवाब में कि क्या दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण सड़कों और अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोविड-19 रोगियों की मौत हुई, स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नियमित रूप से केंद्र को मामलों और मौतों की संख्या की रिपोर्ट करते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मौतों की रिपोर्टिंग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा विशेष रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत की सूचना नहीं दी गई है।
भारती प्रवीण पवार ने कहा, 'राज्य सरकारों द्वारा मौतों को छिपाने की कोई रिपोर्ट नहीं है। हालांकि, कुछ राज्यों ने मृत्यु दर के आंकड़ों के मिलान के आधार पर अपने आंकड़े संशोधित किए हैं।'
महामारी को लेकर कभी राजनीति नहीं की: मनसुख मंडाविया
राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, 'हमारी सरकार ने हमेशा कहा है कि यह संकट राजनीति का कारण नहीं बनना चाहिए। इस संकट में राजनीति नहीं होनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा है कि जब भारत के 130 करोड़ लोग एक कदम आगे बढ़ते हैं, तो देश 130 करोड़ कदम आगे बढ़ सकता है। जब हम तीसरी लहर की बात करते हैं, तो 130 करोड़ लोगों, आम लोगों, सभी राज्य सरकारों को सामूहिक निर्णय लेना चाहिए कि हम अपने देश में तीसरी लहर नहीं आने देंगे। हमारा संकल्प और पीएम मोदी का मार्गदर्शन हमें तीसरी लहर से बचा सकता है। जब एक साथ काम करने की जरूरत है और राज्यों को क्रियान्वयन करना है, उस समय हमने कभी नहीं कहा कि यह राज्य विफल रहा या उस राज्य ने ऐसा नहीं किया। मैं राजनीति नहीं करना चाहता, लेकिन कई राज्यों के पास टीकों की 10-15 लाख खुराकें हैं, मेरे पास आंकड़े हैं।'