महात्मा गांधी ने कहा था कि भ्रष्टाचार और पाखंड लोकतंत्र का अनिवार्य उत्पाद नहीं होना चाहिए, जैसा कि आज है। बापू ने ये बात सालों साल पहले कही थी, लेकिन सच यही है कि भ्रष्टाचार और पाखंड आज भी लोकतंत्र का हिस्सा है। और एक सच ये भी है कि भ्रष्टाचार तमाम कोशिशों के बाद हमारी नसों में समा गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जेपी आंदोलन हुआ, लेकिन भ्रष्टाचार नहीं मिटा। हर साल 31 अक्टूबर से 6 नवंबर तक सतर्कता सप्ताह मनाया जाता है, लेकिन होता कुछ नहीं। भ्रष्टाचार रोकने के लिए 1962 में संथानम समिति ने कई सुझाव दिए, लेकिन हुआ फिर भी कुछ नहीं। भ्रष्टाचार रोकने के लिए देश ने लोकपाल की इच्छा लिए 2013 में एक बड़ा आंदोलन किया, लेकिन आज लोकपाल का हाल भी किसी को नहीं पता। भ्रष्टाचार रोकने के लिए ही नोटबंदी भी हुई, लेकिन असर उसका भी नहीं हुआ।
भ्रष्टाचार को लेकर मैं इतनी बातें इसलिए कही गईं क्योंकि इनकम टैक्स की टीम ने हैदराबाद में हेटेरो फार्मास्युटिकल ग्रुप के दफ्तर में छापे मारे तो आयकर विभाग के अफसर दंग रह गए। सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं, क्योंकि ऑफिस के अंदर आलमारियां मिलीं, जो नोटों की गड्डियों से भरी पड़ी थीं। इन नोटों की गिनती हुई तो पता चला कि ये 143 करोड़ रुपए हैं। एक आलमारी में तो दरवाजे तक नहीं लगे थे।
आयकर विभाग ने 6 राज्यों में करीब 50 जगहों पर छापेमारी की। इस रेड में 550 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति का पता चला है। इनमें करीब 143 करोड़ रुपए कैश हैं। आयकर विभाग के मुताबिक दस्तावेज जांचने के बाद पता चला कि कंपनी ने 550 करोड़ रुपए की काली कमाई का कहीं जिक्र नहीं किया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानि सीबीडीटी ने बयान जारी कर कहा कि तलाशी के दौरान, कई बैंक लॉकर मिले हैं, जिनमें से 16 लॉकर संचालित किए गए थे। सर्च में अब तक 142.87 करोड़ रुपये की अघोषित कैश जब्त किया गया है। तलाशी के दौरान इनकम टैक्स विभाग ने पाया कि कंपनी ने फर्जी बही-खातों में रिकॉर्ड रखा था, जबकि असली हिसाब-किताब डिजिटल मीडिया और पेन ड्राइव में होता था। कंपनी फर्जी तरीके से लेनदेन कर रही थी। कई ऐसी कंपनियों से खरीदी बताई गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। कच्चे माल की खरीदी में भी गड़बड़ियां पाई गई हैं। जिस हेटेरो कंपनी के दफ्तर से ब्लैक मनी से भरी आलमारियां बरामद हुई हैं, वो 50 से ज्यादा देशों में भारत में तैयार दवाएं निर्यात करती है। कंपनी के ऑफिस भारत के अलावा चीन, रूस, मिस्र, मैक्सिको और ईरान में भी हैं।
कोरोना काल में कंपनी उस समय चर्चा में आई थी, जब इसने कई बड़े करार किए और COVID-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर जैसी दवाओं से जुड़े बड़े ऐलान किए। फिलहाल ब्लैक मनी की इतनी रकम इस तरह आलमारियों में मिलने के बाद हर कोई दंग है। लेकिन जांच अभी जारी है। काली कमाई का पता लगाया जा रहा है। आने वाले दिनों में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं।