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Opinion India ka: टोल टैक्स जनता भरे...नेता क्यों मौज करें? VVIP कल्चर पर कब लगेगी रोक?

Updated Oct 06, 2021 | 23:10 IST

Opinion India ka: ओपिनियन इंडिया का में बात हुई कि टोल टैक्स जनता भरे को मौज करें नेता? हम और आप टैक्स चुका रहे हैं और नेता और बाबू मौज उड़ा रहे हैं। आखिर VVIP कल्चर पर रोक कब लगेगी?

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नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी NHAI के अंडर में मार्च 2020 में 29622 किलोमीटर लंबा हाईवे था, जिस पर 566 टोल प्लाजा थे। और इन टोल प्लाजा के जरिए सरकार को हर साल करोड़ों रुपए की इनकम होती है। सिर्फ 2019-20 में NHAI ने गुजरते वाहनों से 26,851 करोड़ रुपए वसूले। यानी हम और आप जैसे आम लोग जब भी इन टोल प्लाजा से गुजरे, हमने टोल का भुगतान किया और सरकार की जेब भरी। लेकिन, हम आम आदमी हैं। वीआईपी नहीं। तो बात इसी आम-ओ-खास के बीच टोल प्लाजा से गुजरते सफर की। आज आपके सामने हम वो सरकारी नीति सामने लाने जा रहे हैं, जो आम आदमी के लिए तो बहुत सख्त है, लेकिन माननीयों के लिए, अधिकारियों के लिए उस नीति का कोई अर्थ नहीं। इस सरकारी नीति को हम आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाएंगे।

मंत्री, सांसद और विधायक क्यों नहीं टैक्स देते?

केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में टोल टैक्स को लेकर बहुत ही सही बात कही। उनके बयान में साफगोई और सोच की तारीफ होनी चाहिए। लेकिन गडकरी के इसी बयान से कई सवाल भी खड़े होते हैं। जनता को छूट नहीं मिलेगी। पत्रकारों को छूट नहीं मिलेगी। तो सवाल ये है कि मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारियों को छूट क्यों मिलेगी? क्या गडकरी के मंत्रालय के टॉप अधिकारी, सेक्रेटरी टोल टैक्स देते हैं? क्या फोकट क्लास की खिलाफत करने वाले केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी खुद टोल टैक्स भरते हैं? अगर नहीं तो सवाल ये है कि आखिर क्यों? मंत्री, सांसद और विधायक क्यों नहीं टैक्स देते हैं? उन पर इतना रहम क्यों? क्या ये सरकार का दोहरा रवैया नहीं। अगर जनता टोल टैक्स भरे, तो नेता जी क्यों मौज करें?

मंत्री जी लाव-लश्कर के साथ आते हैं और निकल जाते हैं। सांसद जी का काफिला फुल स्पीड से आगे बढ़ जाता है। विधायक जी को देखते ही दूर से ही बैरियर ऊपर हो जाता है। आला अफसरों को भी टोल टैक्स देने की जरूरत नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि माननीयों को टोल टैक्स देने से छूट है। शुद्ध सरकारी छूट। इसीलिए इनसे टोल मांगने की कोई जुर्रत नहीं कर पाता है। टोल टैक्स देने के लिए जनता है ना। नेता जी क्यों दें। हकीकत जानने के लिए टाइम्स नाउ नवभारत के रिपोर्टर वरुण भसीन नोएडा के एक टोल प्लाज पर पहुंचें। यहां उन्हें विधायक जी की एक गाड़ी मिली, जिसमें विधायक जी नहीं थे, उनका परिवार था, बावजूद इसके वो फ्री में टोल पार करने की कोशिश कर रहे थे। 

आम जनता हर चीज पर दे टैक्स

कार खरीदी तो रोड टैक्स और जीएसटी दिया। गाड़ी का इंश्योरेंस करवाया तो टैक्स दिया। पेट्रोल भराने गए, तो पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स के साथ सेस भी दिया। रोड पर आए, तो टोल टैक्स भरना होता है। गाड़ी खराब हुई। बनवाई, तो सर्विस टैक्स अलग से। पर मंत्री, सांसद, विधायक और बड़े बड़े अधिकारियों को टैक्स की टेंशन से सदा के लिए राहत है। उन्हें सरकारी गाड़ी मिलती है। सरकारी ड्राइवर। सरकारी पेट्रोल और टोल टैक्स में छूट। हद तो ये है कि ज्यादातर मंत्रालयों के अधिकारी जब अपने परिवार के साथ निजी ट्रिप पर जाते हैं, तब भी टोल टैक्स नहीं भरते। पुलिसवालों के परिवार और रिश्तेदार भी कार्ड दिखाकर टैक्स नहीं भरते हैं।

मतलब ये कि देश में टोल टैक्स में मिलने वाली छूट का जबरदस्त दुरुपयोग होता है। जिससे टोल कर्मी बहुत परेशान हैं। इसे रोकने के लिए 2017 में मोदी सरकार ने कदम उठाया। टोल टैक्स में जिन्हें छूट मिलनी हैं उन्हें Nation Highway Authority of India शून्य लेनदेन टैग जारी करती है। इन टैग की एक सीमित वैलेडिटी होती है और इनके लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ता। छूट लेने के लिए NHAI में एप्लीकेशन देनी पड़ती है। देश के प्रधानमंत्री और उनकी सुरक्षा से जुड़े वाहनों के लिए 354 टैग जारी होते हैं। हर सांसद को 2 Fastags जारी होते हैं। एक दिल्ली के लिए और एक उनके क्षेत्र के लिए। विधायकों को एक Fastag जारी होता है।

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