आज देश ने 100 करोड़ वैक्सीन के आंकड़े को पार कर लिया। ये पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन विपक्ष इसी चक्कर में फंसा रह जाता है कि कहीं क्रेडिट मोदी को न चला जाए। विपक्ष की हालत तो अटका बनिया देय उधार वाली भी नहीं है। यानी मुश्किल में फंसकर कोई काम कर देने वाली स्थिति भी नहीं है कि चलो मजबूरी में ही सही, देश के साथ खड़े दिख जाएं। ये किसी पार्टी या नेता की उपलब्धि नहीं है, देश की उपलब्धि है। आज प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपलब्धि का श्रेय पूरे देश को दिया, जनता को दिया, दवा कंपनियों को दिया, कोरोना वॉरियर्स को दिया।
वहीं, विपक्ष की हालत को मुहावरे में समझें तो यह काटो तो खून नहीं जैसा है। मतलब- सन्न रह जाना। देश में 100 करोड़ वैक्सीन लगती देख विपक्ष की हालत ऐसी है जैसे काटो तो खून नहीं। विपक्ष से देश की उपलब्धि पर तारीफ कराना मानो अंगद का पैर हो गया है, जिसका अर्थ है बहुत मुश्किल काम का होना।
देश में 100 करोड़ वैक्सीन डोज लग चुकी है। पूरा देश जश्न मना रहा है, हर कोई गर्व कर रहा है, देश में दिवाली से पहले दिवाली मन रही है, लेकिन विपक्ष सन्नाटे में हैं। जो हर मुद्दे पर ट्वीट करते हैं, उनका एक भी ट्वीट इस उपलब्धि पर नहीं है। साइलेंट मोड में रहने वाले ये नेता हैं- राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, शरद पवार, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे। राहुल गांधी सवाल उठाने के लिए लगातार ट्वीट करते रहे हैं, लेकिन देश की बड़ी उपलब्धि पर वो खामोश हैं। तो यहां मुहावरों में देखिये कैसे लगी नेताओं की क्लास?