नई दिल्ली : पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक पर पंजाब सरकार एवं पुलिस पुलिस सवालों के घेरे में है। पंजाब सरकार भले ही दावा करे कि उसकी तरफ से सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे और पीएम की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे पंजाब पुलिस और सरकार दोनों पर सवाल उठ रहे हैं। प्रधानमंत्री की मूवमेंट गोपनीय होती है। सड़क मार्ग से यदि पीएम यात्रा करने जा रहे हैं तो इसकी जानकारी राज्य के डीजीपी एवं खुफिया एजेंसियों को होती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर पीएम बठिंडा एयरपोर्ट से सड़क मार्ग के जरिए राष्ट्रीय शहीद संग्रहालय जा रहे हैं तो इसकी जानकारी प्रदर्शनकारियों तक कैसे पहुंची।
पीएम के काफिले से 10 मीटर की दूरी पर थे प्रदर्शनकारी
टाइम्स नाउ नवभारत फ्लाईओवर के उस हिस्से तक पहुंचा जहां पीएम मोदी का काफिला 20 मिनट तक फंसा रहा। जानकारी सामने आई है कि पीएम मोदी का काफिला फ्लाईओवर पर जिस जगह फंसा था वहां से महज 10 मीटर की दूरी पर प्रदर्शनकारी थे। सीएम चन्नी का कहना है कि वह किसानों पर लाठीचार्ज करने का आदेश नहीं दे सकते थे। मान लेते हैं कि प्रदर्शनकारियों के वहां जमा होने की वजह से पीएम के काफिले के साथ अगर कोई अनहोनी हो जाती तो फिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेता?
फ्लाईओवर के पास इमारते हैं
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि पुलिस को पहले से फ्लाईओवर के पास मौजूद होने की जानकारी थी तो उसने रास्ते को खाली क्यों नहीं कराया। किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने कबूला है कि पीएम मोदी के सड़क मार्ग से आने की जानकारी पुलिस ने उन्हें दी। साफ है कि पंजाब पुलिस ने पीएम की सुरक्षा के साथ कोताही बरती। फ्लाईओवर के पास सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं थे। यह काफी व्यस्त रोड है। फ्लाईओवर के आस-पास घर और इमारते हैं। जाहिर है कि यहां सुरक्षाकर्मियों को पहले से तैनात किया गया होता तो लोग फ्लाईओवर या उसके आस-पास एकत्र नहीं हो पाते।
चूक की जांच के लिए समिति बनी
जाहिर है कि पंजाब पुलिस को इन सवालों को जवाब देना होगा। आखिर क्यों एसपीजी को यह बताया गया कि पीएम का रूट सुरक्षित है? क्या यह किसी दबाव में किया गया। या किसी तरह की साजिश थी? पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच के लिए पंजाब सरकार ने दो सदस्यीय समिति बनाई है। यह समिति तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।