'राष्ट्रवाद...देश से बढ़कर कुछ नहीं' में बात हुई झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के एक फैसले की, जिस पर सियासत तेज हो गई है। सरकार ने झारखंड विधानसभा में मुस्लिम विधायकों के नमाज पढ़ने के लिए अलग से कमरा अलॉट करने का फरमान सुनाया। विधानसभा अध्यक्ष ने ये आदेश जारी किया है। एक धर्म विशेष के लिए मेहरबान सोरेन सरकार के इस फैसले पर अब सियासत तेज हो गई है। झारखंड सरकार के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं कि हेमंत सोरेन सरकार ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए ये फैसला लिया है।
क्या तुष्टिकरण की राजनीति के लिए झारखंड की कांग्रेसी सरकार ऐसा कर रही है। बीजेपी ने फैसले पर सवाल उठाते हुए मांग की है कि नमाज के लिए कमरा अलॉट किया गया है तो हिन्दुओं के लिए हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए अलग से 5 कमरे अलॉट करने चाहिए। बीजेपी ने सवाल उठाए तो कांग्रेस ने बीजेपी पर देश के मुद्दों पर ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं कांग्रेस का कहना है कि झारखंड विधानसभा में सरस्वती और देवी मंदिर पहले से ही है।
हेमंत सोरेन के मंत्री फैसले को सही बता रहे हैं लेकिन जब पूजा पाठ के लिए कमरे को लेकर सवाल पूछा तो सोरेन सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री हफिजुल अंसारी ने चुप्पी साध ली।
42वें संसोधन में पंथनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया है। संविधान के मुताबिक भारत प्राचीन काल से ही धर्म निरपेक्ष रहा है, यहां सभी धर्मों को मानने वालों के साथ एक समान व्यवहार किया जाता है। इसका मतलब है कि राज्य धर्म के मामले में पूरी तरह तटस्थ है। वो किसी भी धर्म के साथ नहीं है। राज्य प्रत्येक धर्म को समान रूप से संरक्षण प्रदान करता है वह किसी भी धर्म में हस्तक्षेप नहीं करता है। राज्य किसी धर्म के साथ भेदभाव नहीं कर सकता। अब आप ही अंदाज लगा सकते हैं कि संविधान क्या कहता है और हेमंत सोरेन सरकार क्या फैसले ले रही है। ऐसे में आज के सवाल हैं:
- झारखंड में कांग्रेसी सरकार ने खेला मुस्लिम कार्ड?
- विधानसभा में नमाज पढ़ाएंगे, क्या पूजा भी करवाएंगे?
- लोकतंत्र के मंदिर में धर्म से बंटवारा क्यों?
- मुस्लिमों पर मेहरबान, बाकी धर्मों से क्यों परेशान?