- आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता और तोड़ने वाली शक्तियां ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती हैं
- देश में कई विचारधारा हैं जो आतंक फैलाकर चलती हैं. प्रधानमंत्री ने जो बात कही है वो उनपर भी लागू होनी चाहिए
- देश में महिलाओं और लड़कियों के साथ अत्याचार हो रहा है उस पर मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही है लेकिन अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ क्या हो रहा है, मोदी सरकार को उसकी चिंता है.
Sawal Public ka: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। सोमनाथ मंदिर पर करीब सत्रह बार हमले हुए लेकिन ये मंदिर मजबूती से खड़ा रहा..चाहे महमूद गजनवी हो या फिर औरंगजेब, इन सबने सोमनाथ मंदिर को तोड़ने और फिर लूटने का काम किया, लेकिन मुगलों के जमाने से लेकर अभी तक ये मंदिर उसी बुलंदी के साथ खड़ा है इसी का जिक्र आज प्रधानमंत्री मोदी ने किया और कहा किआस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता और तोड़ने वाली शक्तियां ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती हैंय़
बिना नाम तालिबान को संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान को तालिबान के खिलाफ संदेश भी माना गया हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान जिस तरह अपना साम्राज्य कायम करने की कोशिश में है, इस बयान को उसी से जोड़ कर देखा गया।पहले आपको सुनना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा। प्रधानमंत्री मोदी का ये बयान आतंक के खिलाफ एक कठोर और सच्चा बयान था। अब इसे तालिबान से जोड़कर देखा जाये तो उसमें भी कोई ऐतराज नहीं...लेकिन कांग्रेस ने इस बयान को गलत दिशा दे दी।कांग्रेस ने कहा कि हमारे देश में कई ऐसी विचारधारा है जो मानवता पर नहीं बल्कि आतंक फैलाकर चलती है। अब कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के जरिये उन्हीं पर निशाना साध रही है।
क्या आतंक के विचार को फैला रही है बीजेपी
सवाल है कि अगर बीजेपी की विचारधारा आतंक फैलाकर चलती तो क्या दोबारा देश में उसकी सरकार बनती ? इस वक्त देश में वो सरकार है जिसे जनता ने वोट देकर चुना है...और ऐसा भी नहीं कि पहली बार चुना है दो बार लगातार बहुमत पाकर NDA की सरकार बनी है। लेकिन मोदी विरोध के नाम पर कांग्रेस सहित देश की कई विपक्षी पार्टियां जनता के फैसले पर भी सवाल खड़ी करने लगती है और आज कल इन विपक्षी पार्टियों को तालिबान का मुद्दा मिल गया है, तो वो देश की Democratic सरकार को भी तालिबान और आतंक से जोड़ दे रही हैं
सोमनाथ मंदिर को लेकर फैक्ट
मामला सोमनाथ मंदिर को लेकर नई-नई परियोजनाओं के उद्धाटन का था।लेकिन बात न जाने कहां से कहां चली गई। अब जब बात सोमनाथ मंदिर की है तो जरा फैक्ट पर भी बात कर ली जाये जो कांग्रेस आज सोमनाथ मंदिर के बहाने जनता के वोट पर चुनी हुई मोदी सरकार को आतंक फैलाने वाली कह रही है, जरा उसके बारे में बता दें कि सोमनाथ मंदिर और उससे जुड़ी भावनाओं को लेकर उनके विचार कैसे रहे हैं।
स्वतंत्रता सेनानी के.एम. मुंशी ने अपनी किताब जय सोमनाथ में लिखा है कि सोमनाथ मंदिर पर हो रही चर्चा में जवाहरलाल नेहरू ने मुझसे कहा कि सोमनाथ मंदिर को Restore करने की आपकी कोशिश मुझे पसंद नहीं आयी. ये हिंदू Revivalism है। Jouralist दुर्गादास कि किताब India From Curzon To Nehru And After के मुताबिक 11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होना था...नेहरू जी को जब ये पता चला तो उन्होंने राजेंद्र प्रसाद को रोका तब राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि 'मैं अपने धर्म में विश्वास करता हूं और अपने आप को इससे अलग नहीं कर सकता
ये वही सोमनाथ मंदिर है जहां 19 नवंबर 2017 को जब राहुल गांधी दर्शन करने गये। तो वहां विवाद इस बात पर हो गया कि मंदिर के रजिस्टर में राहुल गांधी का नाम Non Hindu सेक्शन में आखिर क्यों दर्ज हुआ वो वक्त गुजरात चुनाव का था। सवाल ये था कि राहुल गांधी ने ही खुद को Non Hindu बताया या किसी और ने उनका नाम उस सेक्शन में लिखा दिया।लेकिन उस वक्त भी इसे राहुल का सेल्फ गोल कहा गया था।