- करौली के बाद जोधपुर जलता रहा, सरकार सोती रही ?
- जोधपुर हिंसा के बाद उठे सवाल- तुष्टीकरण की मारी, जनता बेचारी
- हिंसा कल रात तब फैली थी, जब जोधपुर के जालोरी गेट चौराहे पर लगे भगवा झंडे को उतारा गया
Jodhpur Hinsa News: आज ईद है। ईद प्रेम और भाईचारे का त्योहार है लेकिन राजस्थान के जोधपुर में एक बार फिर इस भाईचारे पर नफरत के पत्थर पड़े हैं। राजस्थान बार-बार क्यों जल रहा, क्यों सांप्रदायिक हिंसा हो रही है क्या इसके लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार है? हिंसा कल रात तब फैली थी, जब जोधपुर के जालोरी गेट चौराहे पर लगे भगवा झंडे को उतारा गया और उस जगह दूसरा झंडा लगाया गया।
सोची समझी साजिश?
जोधपुर में भीतरी शहर में हुए बवाल को देखकर ऐसा लगता है की कोई सोची समझी साजिश थी। क्योंकि नमाज के बाद जालोरी गेट चौराहे पर लगे भगवा झंडे का विरोध होने के बाद जिस तरीके से आसपास के इलाके में खड़े वाहनों के साथ तोड़फोड़ की गई वे इसी ओर इशारा कर रहे हैं। शहर के अलग-अलग इलाकों में इस तरह के समाचार आने लगे खासतौर से कबूतरों का चौक सुनारों का बास घोड़ों का चौक सहित इलाकों में लोग हाथों में हथियार लेकर ही निकल पड़े।
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सवालों के घेरे में गहलोत सरकार
गहलोत सरकार पर दंगा करने वालों पर कार्रवाई ना करने के आरोप भी लग रहे हैं। 3 मई को जोधपुर में हिंसा हुई। ठीक एक महीने पहले 2 अप्रैल को करौली का दंगा हुआ था। दंगों का मास्टरमाइंड बताया गया मतलूब अहमद अबतक फरार है। 2021 में बारां जिले के छाबड़ा में भी Communal clash हुई थी। छाबड़ा दंगे का आरोपी आसिफ अंसारी सीएम हाउस में इफ्तार में शामिल हुआ था। उधर पिछले महीने जब अलवर में हिंदू मंदिर पर बुलडोजर चला, तो इसे बीजेपी नगर निगम बोर्ड का फैसला बताकर गहलोत सरकार जिम्मेदारी से बचती नजर आयी थी।