Sawal Public Ka : अंग्रेजी में एक मशहूर कहावत है - "Caesar's wife must be above suspicion" भारतीय राजनीति के context में इस कहावत का मतलब आप ये समझ सकते हैं कि जो लोग संवैधानिक पदों पर रहे हैं, उन पर अगर उंगली उठे तो सच्चाई जरूर सामने आनी चाहिए। आज मुझे ये कहावत याद दिलानी पड़ रही है कि क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नाम ISI के लिए काम करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा के साथ जोड़ा जा रहा है। नुसरत मिर्जा ने खुद एक इंटरव्यू में इसका दावा किया है। 26/11 हमले के बाद नुसरत और हामिद अंसारी एक मंच पर साथ दिख भी रहे हैं। ऐसे में BJP हमलावर है और हामिद अंसारी से लेकर कांग्रेस तक से सवाल पूछ रही है। वैसे तो हामिद अंसारी ने नुसरत मिर्जा से संबंधों को इनकार किया है। लेकिन सवाल पब्लिक उठा रही है कि नुसरत मिर्जा से हामिद अंसारी के रिश्ते का सच क्या? आखिर हामिद अंसारी और 'ISI एजेंट' एक 'मंच' पर कैसे ?
पाकिस्तान के पत्रकार नुसरत मिर्जा खुद को इंडिया एक्सपर्ट कहते हैं। उनके दावे के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच उन्हें 5 बार भारत का वीजा मिला। वो भारत आए। उन्होंने सम्मेलनों में हिस्सा लिया। अहम लोगों से मिले। भारत में उनका काम था अहम जानकारियां जुटाना और ISI को मुहैया कराना। पहले आप नुसरत मिर्जा के उस बयान को सुन लीजिए, जिसे लेकर भारत में हामिद अंसारी पर हंगामा मच गया है। नुसरत मिर्जा के इस इंटरव्यू के बाद जब BJP ने सवाल उठाया तो 13 जुलाई को हामिद अंसारी की ओर से पहली सफाई आई।
इसमें हामिद अंसारी की ओर से कहा गया -ये एक तथ्य है कि विदेशी मेहमानों को उपराष्ट्रपति विदेश मंत्रालय के जरिये सरकार की सलाह पर न्योता भेजते हैं। मैंने 11 दिसंबर 2010 को 'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ ज्यूरिस्ट ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म एंड ह्यूमन राइट्स' का उद्घाटन किया था। सामान्य तौर पर मेहमानों की सूची आयोजक तैयार करते हैं। मैं कभी उनको ना तो बुलाया और ना ही मिला हूं।
13 जुलाई को ही कांग्रेस का बयान आया जिसमें लिखा गया कि 11 दिसंबर 2010 को नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और मानवाधिकारों पर न्यायविदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में सभी तथ्य पहले से सार्वजनिक हैं। BJP प्रवक्ता का दुष्प्रचार सबसे निम्न स्तर पर चरित्र हनन है। हामिद अंसारी और कांग्रेस दोनों के बयानों में 11 दिसंबर 2010 को आतंकवाद पर हुए सम्मेलन का जिक्र किया गया। लेकिन अब इस विवाद में नया मोड़ आया है..ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के चेयरमैन आदिश अग्रवाल के बयान के बाद। आदिश अग्रवाल का दावा है कि 2010 में हामिद अंसारी ने नुसरत मिर्जा को बुलाने का दबाव डाला था। हामिद अंसारी बात ना माने जाने पर नाराज भी हुए थे।
आदिश अग्रवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी 2 बायोग्राफी के सह-लेखक हैं। आदिश का आरोप है कि 2010 के आयोजन की आड़ में सच्चाई छिपाई जा रही है। इसका फायदा उठाया जा रहा है कि मैंने मोदी पर किताब लिखी और ऐसा बयान दिया जा रहा है कि मोदी भक्त आदिश अग्रवाल ने नुसरत मिर्जा को बुलाया था। आदिश ने दावा किया कि नुसरत मिर्जा और हामिद अंसारी 2009 में जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एक मंच पर थे। आतंकवाद के विरोध के नाम पर हुए इस कार्यक्रम की तस्वीर भी सामने आ चुकी है जिसमें हामिद अंसारी और नुसरत मिर्जा साथ-साथ दिख रहे हैं। इस तस्वीर के बाद अब बीजेपी ने ना सिर्फ हामिद अंसारी को घेरा है, बल्कि कांग्रेस पर हमला बोल दिया है।
2009 की तस्वीर सामने आने के बाद हामिद अंसारी के दफ्तर से आज एक और बयान जारी हुआ। इसमें कहा गया कि पूर्व उपराष्ट्रपति अपने इस बयान पर कायम हैं कि वो ना तो पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा को जानते थे और ना ही उन्होंने आतंकवाद पर 2010 के कॉन्फ्रेंस या 2009 के या किसी अन्य मौके पर उन्हें बुलाया था।
यहां मैं आपको बता दूं कि, जैसा आपने सुना होगा कि नुसरत मिर्जा ने अपने बयान में 2010 में हामिद अंसारी के साथ मुलाकात का जिक्र किया है। 2009 में सम्मेलन का जिक्र नहीं किया है। ISI के मददगार नुसरत मिर्जा को लेकर हामिद अंसारी बीजेपी के सवालों के घेरे में हैं। लेकिन जब ये सवाल उठ रहे हैं तो मैं आपको Flashback में लेकर भी चलती हूं। 2017 में जब हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति पद से रिटायर हुए तो उनका इंटरव्यू और उनके फेयरवेल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान सुर्खियों में आया था। आपको भी दोनों बयान सुनने चाहिए।
सवाल पब्लिक का
1. क्या ISI के मददगार नुसरत मिर्जा को लेकर हामिद अंसारी घिर गए हैं?
2. क्या आरोपों के बाद हामिद अंसारी का खंडन काफी है?
3. 26/11 के बाद दिल्ली में आतंकवाद पर चर्चा में ISI का मददगार कैसे शामिल हुआ?