Sawal Public Ka: ज्ञानवापी में सर्वे होने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। आज जिला प्रशासन ने सर्वे से पहले की तैयारियां की हैं और कल सुबह साढ़े 7 बजे सभी पक्षों को गेट नंबर 4 पर बुलाया गया है। अदालत के आदेश के मुताबिक सुबह 8 बजे से सर्वे का काम शुरू हो सकता है। सवाल पब्लिक का है कि क्या ये सर्वे, 350 साल पहले हिंदुओं पर औरंगजेब के जिस अत्याचार का दावा हिंदू पक्ष करता है, उसके खिलाफ न्याय का ये पहला कदम है? सर्वे से ज्ञानवापी का ओपन सीक्रेट होगा उजागर ? अगर कृषि कानून रद्द हो सकता है है तो Worship Act क्यों नहीं ?
मुस्लिम पक्ष की आर-पार की लड़ाई के बावजूद ज्ञानवापी का सर्वे रोका नहीं जा सका है। वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार के अपने आदेश में कोई ऐसी गुंजाइश ही नहीं छोड़ी है कि सर्वे रोकने का कोई बहाना बनाया जा सके। मैं आपको बता दूं कि 21 अप्रैल को जब सर्वे की तारीख आयी भी नहीं थी तभी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सर्वे पर एतराज को खारिज कर दिया था। आज सर्वे रोकने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची।
सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने CJI एनवी रमन्ना के चैम्बर में पहुंचकर कहा कि ज्ञानवापी में status quo का आदेश दीजिए। इस पर CJI का जवाब था - मुझे इस केस की कोई जानकारी नहीं। मुझे कागजात देखने दीजिए, तब हम केस लिस्ट करेंगे। इस पर फिर वकील साहब ने कहा कि कृपया इसे लिस्ट करें, सर्वे आज हो रहा है। CJI एनवी रमन्ना का जवाब था - इस तरह कैसे लिस्ट कर सकता हूं? हम करेंगे। इसके बाद हुजेफा अहमदी ने कहा कि ये मस्जिद Places of Worship Act के दायरे में है। इसके बावजूद CJI एनवी रमन्ना ने आज कोई कार्रवाई से इनकार किया और सिर्फ ये कहा कि हम केस लिस्ट करेंगे।
हर एक पक्ष को अदालतों का दरवाजा खटखटाने का हक है। लेकिन ज्ञानवापी पर आज सुप्रीम कोर्ट में जो कोशिश हुई, क्या वो self entitlement यानी खुद को नियम-कायदे से ऊपर रखने की मानसिकता नहीं। और जब अदालत में इस तरह से कोशिश हो तो आप राजनीति पर क्या ही कहिएगा। सुनिए, सर्वे को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी क्या कह रहे हैं।
असदुद्दीन ओवैसी अपनी दलीलों में बार-बार 1991 के Places of Worship एक्ट की बात कर रहे हैं। लेकिन वो कभी ये नहीं बताते कि Places of Worship एक्ट को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। पहली बात तो ज्ञानवापी का सर्वे Places of Worship एक्ट का उल्लंघन ही नहीं करता। और दूसरी बात अगर संसद से पास तीन कृषि कानून रद्द हो सकते हैं, तो फिर Places of Worship एक्ट क्यों नहीं? हम यहां Places of Worship एक्ट के पक्ष या विरोध में कोई दलील नहीं रख रहे हैं। हम सिर्फ ज्ञानवापी का सर्वे का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों से एक सीधा सवाल पूछ रहे हैं।
वैसे ज्ञानवापी का मामला जब तूल पकड़ चुका है, तो मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर भी सर्वे की मांग होने लगी है। मथुरा की एक अदालत में आज एक अर्जी दी गई। इस अर्जी में TIMES NOW नवभारत पर दिखाए गए प्रोग्राम को दलीलों में शामिल किया गया। अर्जी में कहा गया कि नवभारत टीवी चैनल के पाठशाला प्रोग्राम से साफ है कि ईदगाह में धार्मिक कलाकृतियों और प्राचीन शिलालेखों को दबा दिया गया है। इस याचिका में कहा गया कि ज्ञानवापी केस के प्रचार के बाद मथुरा से सबूत हटाए जा सकते हैं। इसलिए मथुरा में धार्मिक कलाकृतियों, शिलालेखों और पौराणिक सबूतों को हटाने से रोका जाए। एडवोकेट कमिश्नर मथुरा में सर्वे कराया जाए।
सवाल पब्लिक का
1. क्या ज्ञानवापी के सर्वे से काशी का ओपन सीक्रेट सामने आएगा?
2. क्या ज्ञानवापी के बाद मथुरा कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर भी सर्वे होना चाहिए?
3. अगर कृषि कानून रद्द हो सकता है तो 1991 का Places of Worship Act क्यों नहीं?