- 'मोदी स्ट्राइक' बिखर गया ममता-पवार का कुनबा ? नहीं दिखी विपक्षी एकता
- विपक्ष की फूट का असर, बढ़ सकता है द्रौपदी मुर्मू की जीत का अंतर
- यशवंत सिन्हा के बयान में दिखी उनकी हार की झलक
नई दिल्ली: देश के प्रथम नागरिक को चुनने के लिए आज मतदान हुआ। खबर है कि खूब क्रॉस वोटिंग भी हुई है..कौन किधर गया, किसने अंतरआत्मा की आवाज सुनी। किसने अपने हाईकमान की सीधी आवाज सुनी ये सब बेहद दिलचस्प है।दर्शकों 15वां राष्ट्रपति बनने की रेस में NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू, विपक्ष के कैंडिडेट यशवंत सिन्हा से रेस में फिलहाल काफी आगे दिख रही हैं।लेकिन सवाल सिर्फ चुनावी जीत-हार का नहीं। सवाल पब्लिक का है कि क्या राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के इस चुनाव से पीएम मोदी ने एक बार फिर विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है? सामाजिक न्याय का मोदी का ये दांव क्या ममता और शरद पवार जैसे नेताओं पर भारी है? और क्या ये भविष्य की राजनीति की स्क्रिप्ट लिख रहा है? सवाल पब्लिक का आज यही है।
मुर्मू की जीत तय
द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे रहे दलों का वोट 61% से अधिक है। ये आंकड़ा बढ़ सकता है क्योंकि उनके पक्ष में क्रॉस वोटिंग की बात कही जा रही है..जैसा मैंने आपको पहले ही बताया। अपने दम पर NDA का वोट 50% से कम है, लेकिन मुर्मू की उम्मीदवारी के बाद BJD, JMM, JD-S, TDP, शिवसेना, BSP और अकाली दल ने उन्हें समर्थन दे दिया। ऐसा नहीं कि ये दल NDA के साथी बन गए लेकिन मोदी की रणनीति ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
यशवंत सिन्हा का बयान
ऐसे में नतीजों से पहले ही विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का ये बयान विपक्षी खेमे की खलबली उजागर करता है। सिन्हा जी ने क्या कहा है पढ़िए, 'मैं एक पॉलिटिकल लड़ाई ही नहीं लड़ रहा हूं आप सब जानते हैं कि मैं सरकारी एजेंसियों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहा हूं इसमें सरकारी एजेंसियां बहुत सक्रिय हो गई हैं और राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ करवाने का काम कर रही हैं लोगों को इस बात के लिए बाध्य कर रही हैं कि वो उनके पक्ष में वोट डाले ....और पैंसे का भी खेल हो रहा है।'
तेजस्वी यादव का बयान
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, 'हम आपसे एक सवाल पूछते हैं कि वोटिंग जो हो रहा है वो प्रेसिडेंट का हो रहा है कि मूर्ति का हो रहा है हम आपसे सवाल पूछते हैं ...हमसे अगर पूछा जाएगा कि आप मूर्ति को समर्थन कीजिएगा या आप राष्ट्रपति को चुनिएगा तो हम तो बोलेंगे राष्ट्रपति को चुनेंगे हम क्यों मूर्ति को चुनेंगे ये जब सवाल पूछा जाएगा ना तो बोलोगे ना....उसी को हम घुमा कर आपके हम पूछते हैं कि ये चुनाव मूर्ति का हो रहा है या राष्ट्रपति का ...तो आप बोलिएगा ये चुनाव मूर्ति का नहीं राष्ट्रपति का हो रहा है।'