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Sawal Public Ka: क्या PM मोदी अपने काम से विपक्ष के मिशन 24 को धराशायी कर देंगे?

Updated Sep 06, 2022 | 22:06 IST

Sawal Public Ka: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में जुट गए हैं। पटना से लेकर दिल्ली तक उनकी मुलाकातें जारी हैं। सवाल पब्लिक का है कि क्या, जहां विपक्ष 2024 के गुणा भाग में जुट गया है, तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार की रिपोर्ट कार्ड ठीक रखने में जुटे हैं। 'कर्तव्य पथ' पर मोदी, 'राज'पथ पर विपक्ष ?

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Sawal Public Ka: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू हो गई है। तो आप हैरान होकर कहेंगे कि अभी तो 2024 दूर है। लेकिन लगता है कि विपक्ष के नेताओं ने 2024 की भागदौड़ अभी से शुरू कर दी है। NDA से अलग होते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे विपक्ष के सबसे बड़े सूत्रधार बन गए हैं। पटना से लेकर दिल्ली तक उनकी मुलाकातें चर्चा की वजह बन गई हैं। कल यानी 7 सितंबर से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर रहे हैं। और कल से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 'मेक इंडिया नंबर 1 कैंपेन' लॉन्च कर रहे हैं।

उधर, तेलंगाना के CM केसीआर से लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक, बहुत पहले से दिल्ली की सियासत का संकेत दे चुके हैं। सवाल पब्लिक का है कि क्या, जहां विपक्ष 2024 के गुणाभाग में जुट गया है, तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार की रिपोर्ट कार्ड ठीक रखने में जुटे हैं। 'कर्तव्य पथ' पर मोदी, 'राज'पथ पर विपक्ष ?

यही है आज सवाल पब्लिक का। चुनावी लोकतंत्र में हर एक नेता को अधिकार है कि वो जनता के बीच किसी भी पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करे। विपक्ष के नेताओं में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चैलेंजर बनने का सपना है तो ये अच्छी बात है। लेकिन सवाल है कि विपक्ष के जो चेहरे...नरेंद्र मोदी के खिलाफ सक्रिय दिख रहे हैं, क्या जनता को वो भरोसा दिला पा रहे हैं?

राहुल गांधी कल से भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर रहे हैं। कांग्रेस इसे मोदी सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा पॉलिटिकल मिशन बनाना चाह रही है। लेकिन जब ये यात्रा लॉन्च हो रही है, कांग्रेस के भीतर के लोकतंत्र और राहुल के नेतृत्व पर पार्टी में ही संग्राम है। नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के मिशन पर हैं, लेकिन BJP सियासत में उनके पलट जाने को मुद्दा बना चुकी है।

अरविंद केजरीवाल इन दिनों दिल्ली से बाहर के राज्यों में ज्यादा सक्रिय हैं। कल हिसार से उनका 'मेक इंडिया नंबर वन' कैंपेन लॉन्च हो रहा है। लेकिन दिल्ली में शराब घोटाले के आरोपों में उनकी सरकार घिरी है।
 
के. चंद्रशेखर राव 20 मई से ही विपक्षी एकता के लिए अलग-अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन हाल ही में पटना में नीतीश कुमार के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी मुहिम का disconnect सबको दिखा है। लेकिन इस Reality Check के बीच मैं आपको नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल के आज के बयान सुनवाती हूं। देखिए, कैसे दोनों नेता.. 2024 के मद्देनजर अपनी-अपनी राजनीति को प्रोजेक्ट करते दिख रहे हैं।

2024 के चुनाव के लिए जब राजनीतिक गोलबंदी हो रही है, तो मैं आपको Flashback में ले जाना चाहती हूं। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले भी विपक्षी एकता और उनकी मुहिम की बड़ी बातें हुई थीं। आप ये तस्वीर देखिए। ये 19 जनवरी 2019 को कोलकाता में 'यूनाइटेड इंडिया' रैली हुई थी। 23 राजनीतिक दलों के 25 नेता एक मंच पर जुटे थे और मोदी सरकार को हराने का संकल्प लिया गया था।

इससे पहले 23 मई 2018 को कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के शपथग्रहण समारोह में लगभग समूचा विपक्ष पहुंचा था। इसी समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती के गले मिलने का वीडियो देश ने देखा था। लेकिन मोदी के खिलाफ इस तरह की विपक्षी मुहिम पूरी तरह फ्लॉप हुई और 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP की ताकत 2014 के मुकाबले बढ़ गई। सवाल है कि मोदी के खिलाफ विपक्ष के सारे वार बेकार साबित क्यों होते हैं? क्या PM मोदी अपनी नीतियों से जनता के बीच जुड़ते हैं?

अमेरिकी एजेंसी Morning Consult ने हाल ही में मोदी की अप्रूवल रेटिंग 75% बतायी है। मैं सिर्फ उदाहरण के लिए बताना चाहती हूं कि PM मोदी ने 2 सितंबर को भारत के पहले स्वदेसी युद्धपोत विक्रांत को नौसेना को सौंपा है। कल ही उन्होंने  14,500 स्कूलों के अपग्रेडेशन का प्लान 
Pradhan Mantri Schools For Rising India यानी PM-SHRI लॉन्च किया है। पिछले ही हफ्ते वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि कोविड में भारत ने Effective Response दिया।

IMF के 3 दिन पहले के आंकड़ों के मुताबिक UK को पछाड़ कर भारत दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। सरकार के ऊपर विपक्ष के गंभीर सवाल हो सकते हैं। महंगाई का मुद्दा बड़ा है।  रसोई गैस की कीमतें अगर 1000 रुपए के ऊपर हैं, पेट्रोल अगर 100 रुपए के करीब है तो महंगाई मुद्दा है। 

विपक्ष ED और CBI के एक्शंस को पॉलिटिकल बताकर भी सरकार के खिलाफ लामबंद होना चाहता है। लेकिन क्या इन आरोपों को जनता के बीच पहुंचाने के लिए विपक्ष एकजुट नहीं या उसकी आवाज विश्वसनीय नहीं? सुनिए हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष की राजनीति को किस तरह आड़े हाथ लिया है।

सवाल पब्लिक का

1. विपक्षी एकता की नीतीश कुमार की कोशिशों में कितना दम है?
2. कांग्रेस का भारत जोड़ो सरकार के खिलाफ कैम्पेन है या राहुल गांधी की रिलॉन्चिंग है?
3. क्या PM मोदी अपने काम से विपक्ष के मिशन 24 को धराशायी कर देंगे?

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