- उद्धव ठाकरे कब तक चुप रहते..जागे, फिर 'औरंगजेब' को ललकारे ?
- उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में 'औरंगजेब एक खोज कथा'
- संभाजीनगर नाम होगा..ओवैसी,कांग्रेस,NCP को स्वीकार है ?
कैसे लंबी खामोशी के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पुराने तेवर दिखाए हैं। दरअसल, सीएम उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद की रैली में अपने पिता के उस सपने को पूरा करने का ऐलान किया है। जो दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का देखा था। उद्धव के इस ऐलान पर बड़ा सवाल ये कि क्या औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी को मंजूर होगा। क्या ओवैसी की पार्टी इसे स्वीकार करेगी? जिसका कब्जा औरंगाबाद संसदीय सीट पर है? यूपी के बाद अब महाराष्ट्र में कैसे शुरू हो गई है 'औरंगजेब एक खोज कथा'? देखिए, हमारी ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...
छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्य की राजनीति में हिंदुत्व का एजेंडा एक बार फिर उफान मार रहा है। कांग्रेस और एनसीपी के साथ बीते ढाई साल से सरकार चला रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद की रैली में ऐसा दांव चला, जो बीजेपी को प्लान 2024 को लेकर नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर सकता है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हिंदुत्व हमारी हर सांस में है। हर कोई औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने की मांग कर रहा है। मैं कभी नहीं भूला कि मेरे दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे ने वादा किया था कि औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखा जाएगा और मैं इसे नहीं भूला हूं। हम इसके नाम को बदल देंगे लेकिन इससे पहले लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करेंगे। इसलिए हमने केंद्र सरकार से यहां के एयरपोर्ट का नाम छत्रपति संभाजी महाराज एयरपोर्ट रखने को कहा है।
उद्धव ने औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी के नाम पर करने का ऐलान उसी मैदान में किया, जहां पिछले महीने उनके चचेरे भाई और एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने रैली की थी। यहां उद्धव ने न सिर्फ औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने का ऐलान किया बल्कि एयरपोर्ट का नाम छत्रपति संभाजी के नाम पर न करने को लेकर बीजेपी पर सीधा वार भी किया तो इस पर बीजेपी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस ने भी तीखा पलटवार किया..फडणवीस ने ट्विटर पर लिखा- जो लोग औरंगाबाद जिले का नाम संभाजीनगर करने, जल संकट के समाधान की व्यर्थ उम्मीदों के साथ आए, विकास की किसी भी नई योजना को कुछ नहीं मिला..लोगों को सिर्फ ताने और ताने मिले।
औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने की मांग बरसों पुरानी है। ये मुराद खुद दिवंगत बाल ठाकरे की भी थी जो उनके जीते जी तो पूरी नहीं ही हुई। उनके बेटे की सरकार के ढाई साल गुजर जाने के बाद भी औरंगाबाद का नाम बदलने का काम पूरा नहीं हुआ तो बीजेपी ने इसे लेकर उद्धव ठाकरे को उलाहने देने और ताने मारना शुरू कर दिया। संभाजी नगर को लेकर बाला साहेब का सपना क्या था?
संभाजीनगर महानगरपालिका चुनाव में कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, इसे कोई नहीं बदल सकता। शिवाजी महाराज के इस वज्र को तोड़ा नहीं जा सकता, जो हमेशा रहेगा। संभाजी महानगरपालिका पर भगवा बहुत ऊंचा लहराता है। हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि हम सभी पार्टियों को हरा दें और अपनी स्थिति बेहतर करें सभी को पता होना चाहिए कि बाघ का शावक दहाड़ चुका है।
बाल ठाकरे को हिंदू हृदय सम्राट कहा जाता था। उनकी सियासत का इकलौता एजेंडा हिंतुत्व था। ऐसे में शिवसेना और बीजेपी का गठजोड़ सालों-साल चला लेकिन 2019 में महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी के झगड़े में शिवेसना और बीजेपी की राहें जुदा हुईं तो उद्धव कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर एक झटके में मातोश्री से मुख्यमंत्री की गद्दी तक पहुंच गए। ऐसे में अब बीजेपी उन्हें सिद्धांतों से समझौता करने वाली भीगी बिल्ली और औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने में देरी को लेकर बड़े और कड़े आरोप लगा रही है।
शिवसेना भले औरंगाबाद को संभाजी नगर ही कहती है। बुधवार की रैली के मंच पर भी शहर का नाम संभाजी नगर के तौर पर ही लिखा गया था लेकिन उद्धव ने अभी सिर्फ ऐलान ही किया है। फैसला नहीं, ऐसे में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस भी उद्धव पर तंज कस रही है।
औरंगाबाद का इतिहास क्या है? शहर का ये नाम कैसे पड़ा? औरंगाबाद से मुगल शासक औरंगजेब का क्या रिश्ता है? यहां आप पूरी कहानी जानिए। इन दिनों औरंगजेब की क्रूरता फिर से सुर्खियों में क्यों है? हिंदू धर्म से नफरत के इस खलनायक के खिलाफ आक्रोश का आलम ये है कि पूरे देश से उसकी पहचान मिटाने की होड़ क्यों मची है? आपको सबकुछ बताएंगे। लेकिन उससे पहले औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखने पर महाराष्ट्र की सियासी पार्टियों का स्टैंड क्या है?
कांग्रेस औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने के सख्त खिलाफ है। जनवरी 2021 में उद्धव सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता बाला साहेब थोराट ने इसे महा विकास आघाडी के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के खिलाफ बताया था। एनसीपी भी औरंगाबाद का नाम बदलने के विरोध में है। जनवरी 2021 में ही एनसीपी नेता माजिद मेमन ने इसे मुसलमानों के खिलाफ कदम बताया था। जबकि बीजेपी औरंगबाद का नाम संभाजी नगर करने की पुरजोर वकालत करती रही है। एमएनएस की मांग भी औरंगाबाद के खिलाफ और संभाजी नगर के समर्थन में है।