- प्रदर्शन पर आर-पार. आंदोलन पर 'सुप्रीम' फटकार
- किसान आंदोलन पर कोर्ट बोला- कोर्ट में सुनवाई तो सड़क पर प्रदर्शन क्यों
- प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ नहीं कर सकते हैं - कोर्ट
नई दिल्ली: पिछले दस महीनों से किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर सियासत की जा रही है। आंदोलनजीवी किसान नेता दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे हैं..इन किसान नेताओं की मंशा अब दिल्ली के अंदर घुसकर प्रदर्शन करने की है। Supreme Court ने Kisan Andolan करने में लम्बे वक़्त से जुटे किसान संगठनों को फटकार लगाई है | कोर्ट ने साफ़ कहा कि 'पहले ही आप शहर को बंधक बना चुके हैं | अब शहर के भीतर घुस कर फिर से इसको घेरना चाहते हैं।'
सुप्रीम कोर्ट की दो टूक
किसानों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आग्रह किया कि किसानों को यहां जंतर मंतर पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आपने पूरे दिल्ली शहर का दम घोंट दिया है और हाईवे जाम कर दिया है। कोर्ट की सुनवाई में निम्न बातें सामने निकलकर आईं-
1- किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया है
2- आप शहर में घुसकर प्रदर्शन करना चाहते हैं
3- क्या शहर के लोग कारोबार बंद कर दें
4- सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट नहीं कर सकते हैं
5- हाई-वे जाम कर विरोध शांतिपूर्ण कैसे हो सकता है
6- किसान सुरक्षाकर्मियों को भी परेशान कर रहे हैं
7- ऐसे में प्रदर्शन की इजाजत कैसे दी जाए ?
टिकैत का तर्क
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद खुद को किसानों का मसीहा कहने वाले राकेश टिकैत से टाइम्स नाउ नवभारत ने बात की तो उनके तर्क देखिए। वो कह रहे हैं उन्होने रोड जाम नहीं किया है ये तो पुलिस ने जाम किया है। जिस वक्त सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था और इन किसानों को फटकार लगाई जा रही थी उस वक्त हरियाणा के झज्जर में ये आंदोलनजीवी किसान पुलिस से उलझ रहे थे और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के दौरे का विरोध कर रहे थे। पुलिस को इनको रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल तक करना पड़ा।
अब इन किसानों को किस आंदोलनजीवी किसान नेता ने भड़काया वो भी सुन लीजिए। कल ही गुरनाम सिंह चड़ूनी ने धमकी दी थी कि बीजेपी नेताओं का घर से बाहर निकलना बंद कर देंगे। दरअसल हरियाणा सरकार ने धान खरीद की तारीख को 11 अक्टूबर तक टाल दिया था जिसके बाद चड़ूनी ने धमकी दी ।