नई दिल्ली: किसान आंदोलन स्थल टिकरी बॉर्डर पर एक युवती के साथ गैंग रेप का मामला सामने आया है। इस मामले में किसान नेताओं पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि किसान नेताओं को इस मामले की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने पुलिस को सूचित नहीं किया। युवती की कोरोना से मौत हो चुकी है। पीड़िता के पिता ने आंदोलन स्थल पर बेटी के साथ रेप का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है।
अब इस मामले पर किसान नेता योगेंद्र यादव का पक्ष सामने आया है। योगेंद्र यादव ने कहा है कि टिकरी बलात्कार मामले में केस किसान संगठनों के साथ-साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने ये सोचकर इसलिए दर्ज नहीं कराया था कि पीड़ित के पिता/परिवार को सबसे पहले पुलिस से संपर्क करना चाहिए।
TIMES NOW से एक्सक्लूसिव बात करते हुए यादव ने कहा कि इस मामले (टिकरी के किसान विरोध स्थल पर 26 वर्षीय महिला के साथ कथित बलात्कार) को निष्कर्ष पर ले जाना चाहिए और दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। 2 तारीख को हमें घटना के बारे में पता चला। 3 को हमने टिकरी बॉर्डर पर एक बैठक की और यह तय किया गया कि किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस ने 6 के खिलाफ केस दर्ज किया
उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार, शिकायत करने का पहला अधिकार परिवार का था, हालांकि, हमने फैसला किया कि अगर परिवार शिकायत दर्ज करने में असमर्थ है तो हम मामले की शिकायक करेंगे। पिता ने 8 मई को बहादुरगढ़ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और केवल दो आरोपियों का नाम लिया। दिलचस्प बात यह है कि पुलिस ने छह लोगों को आरोपी बनाया है। पीड़िता के समर्थन में बोलने वाली लड़की को भी आरोपी बनाया गया है।
टेंट में किया गया बलात्कार
FIR के अनुसार, युवती के साथ कथित रूप से पश्चिम बंगाल से नई दिल्ली जाने वाली ट्रेन में छेड़छाड़ की गई और किसानों के विरोध स्थल टिकरी बॉर्डर में एक टेंट में उसके साथ बलात्कार भी किया गया। कुछ समय पहले, इस मामले के एक आरोपी ने एक वीडियो जारी किया और कहा कि बलात्कार के आरोप किसानों के विरोध प्रदर्शन को बदनाम करने की साजिश हैं। आरोप है कि किसान सोशल आर्मी से जुड़े आरोपी 10 अप्रैल को पश्चिम बंगाल से ट्रेन में उसके साथ आए थे। यात्रा के दौरान महिला का यौन उत्पीड़न किया गया और बॉर्डर पर पहुंचने पर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। पुलिस के अनुसार, 25 अप्रैल की रात को पीड़िता को कोरोना वायरस के इलाज के लिए बहादुरगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 30 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। अपनी शिकायत में पीड़िता के पिता ने मुख्य आरोपी अनिल मलिक और अनूप सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी बेटी का अपहरण करने की कोशिश भी की थी। अन्य आरोपी अंकुश सांगवान, कविता, जगदीश बरार और योगिता हैं।
पीड़ित परिवार के साथ किसान संगठन
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा है कि वह अपनी मृतक महिला सहकर्मी को न्याय दिलाने के लिए उसके परिवार से साथ एकजुट है। किसान मोर्चा ने कहा है कि न्याय के लिए इस लड़ाई को लेकर वह प्रतिबद्ध है। यह भी बताया गया कि तथाकथित किसान सोशल आर्मी के टेंट और बैनर आदि हटा दिए गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि आरोपियों पर जारी आंदोलन में प्रतिबंध लगा दिया गया है और उनके सामाजिक बहिष्कार के लिए सार्वजनिक अपील भी की गई है।