- 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे
- इसके बाद भारत ने 26 फरवरी को बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया था
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों को श्रद्धांजलि दी है। गृह मंत्री ऐसे दिन शहीद स्मारक गए हैं, जब जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के 74 साल पूरे हुए हैं। संविधान के अनुच्छेद 370 को 2019 में रद्द किए जाने के बाद 26 अक्टूबर को केंद्रशासित प्रदेश में सार्वजनिक छुट्टी घोषित की गई है। शाह ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद ट्वीट किया कि पुलवामा के कायराना आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के बहादुर जवानों को आज पुलवामा शहीद स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। देश की रक्षा हेतु आपका समर्पण एवं सर्वोच्च बलिदान आतंकवाद के समूल नाश के हमारे संकल्प को और दृढ़ करता है। वीर बलिदानियों को कोटि-कोटि वंदन। उन्होंने शहीदों की याद में पौधारोपण भी किया। गृह मंत्री ने ट्वीट में कहा कि पुलवामा के शहीद स्मारक पर हमारे वीर बलिदानियों की स्मृति में पौधारोपण किया।
इससे पहले कल अमित शाह पुलवामा जिले के लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पहुंचे, यहां उन्होंने सीआरपीएफ कैंप में सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और SSB के जवानों के साथ खाना खाया और उनसे बात की। गृह मंत्री ने जानना चाहा कि उन्हें किसी तरह की दिक्कत तो नहीं हो रही। अमित शाह ने रात्रि विश्राम भी कैंप में जवानों के साथ ही किया।
शाह ने सीआरपीएफ शिविर में सुरक्षा कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं एक रात आप लोगों के साथ गुजारना चाहता हूं और आपकी समस्याओं को समझना चाहता हूं। केंद्र शासित प्रदेश के उनके दौरे के दौरान यह सबसे अहम पड़ाव है। शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत हद तक सुधरी है। उन्हें उम्मीद है कि वह अपने जीवनकाल में शांतिपूर्ण जम्मू कश्मीर देख सकेंगे जिसका सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा है।
उन्होंने कहा कि पथराव की घटनाएं तभी दिखाई देती हैं जब हम उन्हें देखना चाहते हैं। ऐसा भी समय था जब कश्मीर में पथराव आम बात थी। ऐसी घटनाएं बहुत हद तक कम हो गई हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हम अभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार की बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह मानवता के विरुद्ध है। मानवता के प्रति जघन्य अपराध से जुड़े लोगों से कश्मीर के लोगों को बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।