फिरोजाबाद : उत्तर प्रदेश के जिस फिरोजाबाद शहर में हर घर चूड़ियां बनती हैं, अब उसी 'बैंगल सिटी' के गलियों में डेंगू और वायरल बुखार की दहशत है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक हफ्ते भर से कम समय में ही 51 लोगों ने डेंगू और बुखार से दम तोड़ दिया। हालात की गंभीरता देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हालात का जायजा लेकर जा चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार की स्वास्थ्य टीम भी यहां से सैम्पल कलेक्ट करके अचानक हुई मौतों की वजह जानने की कोशिश कर रही है।
डेंगू और बुखार से हुई मौतों के बाद यूपी सरकार नींद से जागी तो फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज में बेड की संख्या बढ़ाने के आदेश जारी हो गए। लेकिन बिना मेडिकल इक्विपमेंट और डॉक्टर की संख्या बढ़ाए ही क्या इलाज बेहतर हो जाएगा? इसकी पड़ताल जब टाइम्स नाउ नवभारत की टीम ने की तो कई सारे वार्ड्स में एक ही बेड पर दो बच्चों के इलाज की तस्वीर सामने आई।
फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज में बुखार से तड़पते हुए बच्चे लगातार आ रहे हैं। मातृ-शिशु केंद्र में ब्लड टेस्ट कराने से लेकर रजिस्ट्रेशन तक मे लम्बी लाइन है। किसी बच्चे के खून में प्लेटलेट्स की संख्या घटकर 21 हजार पहुंच गई है तो किसी के बच्चे का बुखार ही कई घंटों से नहीं उतर रहा है। भरी दोपहर में मेडिकल कॉलेज के लॉन में एक मां अपनी 9 महीने की बच्ची को लेकर टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था तो दुधमुंही बच्ची को छाती से चिपकाए मां अस्पताल पहुंच गई। बुखार का इंजेक्शन देकर मेडिकल कॉलेज ने अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली है, क्योंकि बिना रिपोर्ट आए एडमिट करने का प्रावधान ही नहीं है. तब तक उस रोती बिलखती नन्ही जान का क्या हश्र होगा इसका नहीं पता, क्योंकि रिपोर्ट आने में ही घंंटों का इंतजार है।
फिरोजाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज की व्यथा एक तरफ लेकिन दुनिया भर में अपनी चूड़ियों की खनक और चमक के लिए विख्यात इस शहर के बाकी अस्पतालों के हालात भी बदतर ही हैं। पैसे खर्च करके भी निजी अस्पताल बदतर हालात के मामले में सरकारी व्यवस्था को टक्कर देते हैं। गांव-गांव झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला है जो मनमानी स्टेरॉयड्स और दवाइयां देकर केस को और बिगाड़ दे रहे हैं। फिरोजाबाद शहर के जैन कॉलोनी की 14 साल की शगुन सिंह अपने मां बाप की इकलौती बिटिया थी। डेंगू होने के बाद भी उसके प्लेटलेट्स काउंट अंडर कंट्रोल थे, लेकिन 2 तारीख को दिन में अचानक से तबियत बिगड़ी। पास के निजी अस्पताल ले गए तो वहां भी 4 घंटे बाद डॉक्टर देखने आ पाए। जब तबियत नहीं संभली तो आगरा के लिए रेफर किया, लेकिन बच्ची ने रास्ते मे ही दम तोड़ दिया। दुनिया छोड़कर जा चुकी बच्ची के दादा फिरोजाबाद में स्वास्थ्य सेवाओं के खस्ताहाल बताते हुए फूट कर रो रहे हैं।
आखिर क्यों फैला इतना डेंगू?
हर साल बारिश के सीजन के बाद तमाम शहरों में जलभराव की वजह से मलेरिया, डेंगू के मामले सामने आते हैं, लेकिन ये साल मनहूसियत से भरा निकला और ऊपर से जिला प्रशासन-निगम की घोर लापरवाही का सबब रहा कि न कहीं ढंग से छिड़काव हुआ और न ही जलभराव रोका गया। नतीजन शहरभर में सैकड़ों जगह मच्छर पनपे और उसका दुष्परिणाम सामने है। जब तीन दर्जन से ज्यादा मौतें आ गईं तो आनन फानन में तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही है। समय पर टेस्ट कराने और कूलर को साफ रखने की हिदायत दे रही है। सुबह शाम छिड़काव हो रहा है, लेकिन अब तक 51 लोगों ने असमय अपनी जान गंवा दी।
फिरोजाबाद और आसपास इलाके में फैले बुखार को रोकने के लिए लखनऊ से लेकर जिला मुख्यालय में मीटिंगों का दौर चल रहा है। शनिवार शाम प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव ने डीएम, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। बैठक से निकलकर फिरोजाबाद के सांसद डॉक्टर चन्द्रसेन जादौन ने ये कह दिया कि सरकार ने सारे इंतजाम किए हैं, इस साल ज्यादा बारिश होने के चलते बुखार ज्यादा हो रहा है। हालांकि माननीय सांसद ये बताना भूल गए कि बारिश कम ज्यादा होना मौसम पर निर्भर करता है और शहर के गड्ढे-नालों की सफाई प्रशासन पर। वक्त रहते अगर यही सतर्कता दिखा दी होती तो 51 लोग शायद जिंदा होते।