- अलगाववादी नेता ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को कबूल लिया है
- मलिक ने माना है कि 2017 के बाद उसने घाटी का माहौल खराब किया
- यासीन को कितनी सजा मिलेगी, इस पर कोर्ट 19 मई को सुनाएगा फैसला
Yasin Malik : जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाने, उसकी फंडिंग करने, अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहने सहित अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को यासीन मलिक ने कबूल कर लिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की तरफ से फाइल चार्जशीट में मलिक के खिलाफ लगे सभी गंभीर आरोपों का जिक्र है। मलिक ने माना है कि साल 2017 में उसने घाटी का माहौल बिगाड़ने में सक्रिय भूमिका निभाई। उसने आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के ट्रेनिंग कैंप में जाने और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क रखने की बात भी मानी है।
आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखने की बात कबूली
मलिक ने माना है कि उसके आतंकी सरगना हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन के साथ संबंध है। जाहिर है कि मलिक ने अपने गुनाहों को कबूल कर लिया है। मलिक के खिलाफ एनआईए ने दिल्ली की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। मलिक ने कथित रूप से कोर्ट को बताया है कि वह अपने खिलाफ लगे आरोपों से इंकार नहीं कर रहा है। मलिक के खिलाफ कोर्ट अब 19 मई को सुनवाई करेगा और इस दिन मलिक की सजा पर फैसला होगा।
अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती नहीं दी
मलिक ने कोर्ट को बताया कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।
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अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय
अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख, और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए। आरोप पत्र लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।