नई दिल्ली: गाजियाबाद जिले में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई को सांप्रदायिक रंग देने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला किया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने ट्विटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इस मामले में 8 अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है। ट्विटर पर आरोप है कि इस तरह के वीडियो पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस वीडियो को इस प्रचारित किया गया कि मुस्लिम शख्स को निशाना बनाया गया, उसकी पिटाई की गई और जबरन उनकी दाढ़ी काटने का आरोप लगा। ट्विटर भ्रामक खबरों को 'मैनिपुलेटेड मीडिया' कहता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।
दरअसल, पीड़ित व्यक्ति का दावा है कि उनकी पिटाई करने वालों ने उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था। पुलिस ने इस मामले में सांप्रदायिक पहलू होने से इंकार किया है। उनका कहना है कि सूफी अब्दुल समद की पिटाई करने वालों में हिन्दू-मुसलमान मिलाकर कुछ छह लोग शामिल थे और सभी उनके द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर नाखुश थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने कहा कि गिरफ्तार युवकों की पहचान कल्लू और आदिल के रूप में हुई है। इनके अलावा पॉली, आरिफ, मुशाहिद और परवेश गुर्जर को भी इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। गाजियाबाद पुलिस ने इससे पहले गुर्जर को गिरफ्तार किया था, सूफी के पिटाई की घटना उसके आवास पर हुई थी। पांच जून को हुई घटना के दो दिन बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 342, 323, 504 और 506 में मामला दर्ज किया गया।
यह है एफआईआर की कॉपी
ये है मामला
सूफी ने अपनी शिकायत में यह नहीं कहा था कि उनकी दाढ़ी काटी गई और उनसे जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया। पुलिस अधीक्षक देहात इराज राजा ने बताया कि पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापे मार रही है और उन्हें जल्दी ही पकड़ लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि तंत्र-मंत्र साधना करने वाले सूफी ने गुर्जर को उसके परिवार के कुछ सदस्यों को बुरी नजर से बचाने के लिए कुछ ताबीज दिए थे, लेकिन उससे कुछ फर्क नहीं पड़ने के कारण दोनों के बीच कहासुनी हो गयी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए कथित वीडियो में गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में चार लोग सूफी की पिटाई करते, उनकी दाढ़ी काटते और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहते हुए दिख रहे हैं।
इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'मैं ये मानने को तैयार नहीं हूँ कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं। ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है।' इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब देते हुए कहा कि प्रभु श्री राम की पहली सीख है-"सत्य बोलना" जो आपने कभी जीवन में किया नहीं। शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं। सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें।