- जयपुर के आमेर किले में स्थित है शिलामाता देवी मंदिर
- जयपुर के राजवंश ने माता को ही शासक मानकर किया राज्य
- मंदिर में भोग के रूप में चढ़ने वाली गुझिया है फेमस
Jaipur News: गुलाबी शहर जयपुर के आमेर किले में शिलामाता देवी का मंदिर स्थापित है। माता शिला देवी का मंदिर अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए पूरे भारत में जाना जाता हैं। साथ में इस देवी मंदिर की बड़ी महिमा है और यह चमत्कारिक भी है। शिला माता की कृपा से ही मुगल शासक अकबर के प्रधान सेनापति रहते हुए राजा मानसिंह ने अस्सी से ज्यादा लड़ाईयों में विजय पताका लहराई थी और तभी से जयपुर राजवंश के शासकों ने माता को ही अपना शासक मानकर यहां राज्य किया।
बता दें कि आमेर महल परिसर में स्थित शिला माता मंदिर में आजादी से पूर्व तक सिर्फ राजपरिवार के सदस्य और प्रमुख सामंत-जागीरदार ही शिला माता के दर्शन कर सकते थे। वहीं अब रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। चैत्र और अश्विन नवरात्रि में तो माता के दर्शनों के लिए लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं और छठवें दिन बड़ा विशाल मेला लगता है।
15वीं शताब्दी में हुई शक्तिपीठ की प्रतिस्थापना
मिली जानकारी के अनुसार, जयपुर के प्राचीन प्रमुख मंदिरों में शुमार इस शक्तिपीठ की प्रतिस्थापना 15वीं शताब्दी में की गई थी। तत्कालीन आमेर के शासक राजा मानसिंह प्रथम ने इस मंदिर की प्रतिस्थापना की थी। पूर्व जयपुर राजघराना सदस्य और राजसमंद से सांसद दिया कुमारी ने बताया है कि, युद्ध का समय हो या फिर किसी तरह का संकट, माता रानी को मन से याद किया तो युद्ध भी जीता जा सकता है और बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है।
राजघराने और भक्तजनों की आराध्यदेवी हैं शिलामाता
बता दें कि, आज भी कोई संकट आ जाता है तो राजघराने से लोग माता रानी के दर्शन करने पहुंच जाते हैं। वैसे तो राजघराने के सभी सदस्य नवरात्रि में दर्शन करने के लिए यहां आते हैं और शिलामाताजी उनकी आराध्यदेवी हैं। हमेशा से उनका आशीर्वाद भक्तों पर रहा है। अब तो दिन-प्रतिदिन माता रानी में आस्था बढ़ती ही जा रही है। साल में दो बार चैत्र और आश्विन के नवरात्रि में यहां मेला लगता है। नवरात्रि में माता का विशेष श्रृंगार करने का आयोजन किया जाता है। सांसद दिया कुमारी बताती हैं कि, वैसे तो उनकी कुलदेवी जमवाय माता हैं, लेकिन शिलामाता आराध्यदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। यहां विशेष रूप से गुझिया और नारियल का प्रसाद भी भक्त चढ़ाया करते हैं।