- अनिका सबसे कम उम्र की लेखिका हैं।
- अनिका ने साबित कर दिया कि किताब लिखने की कोई उम्र नहीं होती।
- बच्ची ने सभी पाठकों व अपने एज ग्रुप के लोगों को दिया खास संदेश।
Anika Malhotra Book: जमीं नहीं मंजिल मेरी अभी पूरा आसमान बाकी है। ये पंक्तियां फरीदाबाद की रहने वाली महज 11 साल की बच्ची अनिका मल्होत्रा पर सटीक बैठती है। अनिका ने यह साबित कर दिया है कि अपना हुनर दिखाने के लिए कोई उम्र की सीमा तय नहीं होती। एक छोटा बच्चा भी अपने हुनर से दुनिया को हैरान कर सकता है, उसके अंदर आपकी सारी उलझनों व दुखों को समाप्त करने का सामर्थ्य होता है। इस बच्ची ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसे करने में लोगों को कई साल लग जाते हैं।
दरअसल अनिका ने महज 11 साल की उम्र में द टेल ऑफ अ कैंडिड ट्वीन नामक किताब लिखकर, कम उम्र में नया कीर्तिमान रच दिया है। साथ ही दुनिया को बता दिया है कि किताब लिखने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं बल्कि लिखने की कल्पना और नजरिए की जरूरत होती है। इस बच्ची ने अपनी इस पुस्तक में कविता के माध्यम से बचपन और टीनएज के बीच की उम्र की झिझक, दुविधा, सवाल और सोच की साइकॉलजी को बिना किसी भय व संकोच के स्पष्ट तरीके से उतारा है। टाइम्स नाउ नवभारत के साथ बातचीत के दौरान अनिका ने बताया कि इस किताब को लिखने की प्रेरणा उन्हें अपने जीवन के मूलभूत विचार और माता पिता से मिली।
लोग इस किताब को कर रहे काफी पसंद
लिखने के प्रति अपने जुनून के बारे में अनिका ने बताया कि मेरी आसपास की चीजों और छोटी छोटी बातें मुझे लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। अनिका की किताब बच्चों के बीच काफी पसंद की जा रही है। इस किताब को पढ़ने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि इतनी कम उम्र में बच्चा इतना कैसे सोच सकता है।
बेटी ने लिख डाली किताब, माता पिता अनजान
अनिका की मां रिचा मल्होत्रा ने अपनी बेटी के बारे में बात करते हुए कहा कि उसके सवालों और सोच की साइकॉलजी को देख हम भी दंग रह जाते हैं। बचपन से ही वह होशियार और प्रतिभावान है। उन्होंने बताया कि उसने कब पूरी किताब लिख डाली हमें पता भी नहीं चला, लेकिन जब उनकी नजर किताब पर पड़ी तो बच्चे की क्रिएटिविटी और उसके नजरिए को देख दंग रह गए।
साक्षात्कार के दौरान जब अनिका से पूछा गया कि क्या इससे आपकी पढ़ाई प्रभावित हुई, तो बच्ची ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं पढ़ाई और अपने दूसरे कार्य बहुत अच्छे तरीके से मैनेज करना जानती हूं, ये तरीका मुझे अपने माता पिता से मिला है। इस दौरान मेरी पढ़ाई काफी प्रभावित हुई, लेकिन इस किताब को लिखने के लिए मेरे अंदर एक अलग उत्साह और उमंग था।
बच्ची ने सभी पाठकों व अपने एज ग्रुप के लोगों को संदेश देते हुए कहा कि, दुनिया का हर व्यक्ति किसी ना किसी समस्या से जूझ रहा है। इसलिए आपको कभी नहीं सोचना चाहिए कि आप जिस समस्या को झेल रहे हैं, वो केवल आपकी प्रॉब्लम है। जीवन में ऐसी समस्याओं से कई लोग परेशान हैं। जब अपनी धारणा बदलेंगे तभी आपके समस्याओं का निवारण हो सकता है।