- शिशु के लिए मां का दूध बेहद लाभकारी होता है, मां के दूध में कई आवश्यक मिनरल्स और विटामिंस मौजूद होते हैं।
- नई मांओं के लिए अपने बच्चे को दूध पिलाना बेहद मुश्किल कार्य लग सकता हैं, मगर कुछ टिप्स इस कार्य को आसान बना देंगे।
- अपने बच्चे की भूख पहचानना बेहद जरुरी है, अगर दूध पिलाते समय आपको दर्द या कोई और दिक्कत हो तो अपने डॉ. की सलाह लें।
मां बनने का एहसास इस दुनिया में सबसे अनमोल होता है, मां और बच्चे का रिश्ता समुद्र से भी ज्यादा गहरा होता है। शायद इसी वजह से लोग कहते हैं कि एक मां के आंचल से सुरक्षित जगह किसी बच्चे के लिए कहीं और नहीं हो सकती। मां अपने बच्चे की हर एक जरूरत से परिचित रहती है, इसीलिए भगवान ने शायद संसार में उसे यह गुण दिया है कि वह अपने जन्में बच्चे का पेट भर सके। जानवर हो या इनसान, मां का दूध हर बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इसीलिए बच्चे के जन्म से लेकर छह महीनों तक उसे सिर्फ मां का दूध पिलाया जाता है।
कई शोध के अनुसार, यह पता चला है कि मां दूध के अंदर कई आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं जो बच्चे के ग्रोथ के लिए जरुरी होते हैं। मां का दूध बच्चे के लिए न्यूट्रिएंट्स का सबसे अच्छा स्त्रोत होता है। मां का दूध फैट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और अन्य मिनरल्स और विटामिंस का प्राइमरी सोर्स होता है। ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया नैचुरल होती है, नई मांओं कि लिए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिन्हें अपनाने के बाद आप ब्रेस्टफीडिंग में माहिर बन जाएंगी।
बच्चे की भूख को पहचानें
जब आप नई-नई मां बनती हैं तो आप नहीं जान पाती कि कब आपका बच्चा भूख से रो रह है और कब नहीं, इसलिए बच्चे के भूख को पहचानना बड़ी बात होती है। मां के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने बच्चे के भूख को पहचाने। शुरु में ऐसा हो सकता है कि आपको अपने बच्चे को हर 2 से 4 घंटे में दूध पिलाना पड़े। कभी-कभी यह भी हो सकता है कि आपके बच्चे को हर एक घंटे में भूख लगे।
अपने बच्चे को रोने ना दें
बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें भूख जल्दी-जल्दी लगती है और वह अपनी बात आप से कह नहीं सकते हैं इसलिए भूख लगने पर रोने लगते हैं। इसलिए आप अपने बच्चे का पेट भरा रखें ताकि वह रोए ना। आपके बच्चे को भूख से रोना पड़े इससे अच्छा उसे समय-समय पर दूध पिलाते रहें।
ब्रेस्टफीडिंग में हो सकती है देरी
जब आप पहली बार मां बनती हैं तो कई चीजों का अनुभव पहली बार करती हैं। ब्रेस्ट फीडिंग के साथ भी ऐसा ही है। पहले-पहले आपको इसकी आदत नहीं होती है और परेशान हो सकती हैं। कई बार बच्चे को दूध पिलाने में बहुत देरी हो सकती है, यहां तक की दूध पिलाने में 20-45 मिनट लग सकते हैं। इसलिए यह आपके लिए थकाउ हो सकता है। लेकिन आपको परेशान नहीं होना है क्योंकि आप एक नन्हीं सी जान का पेट भर रही हैं जिसे आपने अपनी कोख में नौ महीनों तक रखा था।
सही पोजिशन में बच्चे को पिलाएं दूध
बच्चे को दूध पिलाते समय पोजिशन पर ध्यान देना आवश्यक है। दूध पिलाते समय अपने बच्चे के कर्म्फट का भी ख्याल रखें। ऐसा ना हो की आपके गलत पोजिशन की वजह से बच्चे को दूध पीने में परेशानी होने लगे और वह सही से दूध ना पी पाए। इससे बच्चे के सेहत पर भी फर्क पड़ सकता है।
नॉर्मल है दूध का लीक होना
कई बार ऐसा होता है कि जब आप एक नवजात की मां होती हैं और आपके ब्रेस्ट से दूध लीक होने लगता है। इसमें हैरानी की बात नहीं है, अक्सर दूध लीक होता रहता है। इसीलिए आपको डरने की जगह सतर्क रहना चाहिए।
अपने खान-पान पर दें ध्यान
अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करती हैं तो आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। अगर आप हेल्दी खाना खाएंगी तो आपका बच्चा भी हेल्दी रहेगा। इसलिए आपको अपने खाने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और तमाम मिनरल्स का भी ध्यान देना चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग में नहीं होना चाहिए दर्द
अगर अपने बच्चे को दूध पिलाते समय आपको दर्द होता है या कोई दिक्कत आती है तो आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। दरअसल बच्चे को दूध पिलाते समय आम तौर पर मां को दर्द नहीं होता है, इसलिए आपको अगर दर्द हो रहा है तो समझ जाना चाहिए की कुछ दिक्कत है और तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।