- खुद में बदलाव लाने के बाद बच्चों को बदलें
- बच्चों को आत्मविश्वासी बनाने का प्रयास करें
- बच्चों के निर्णय का सम्मान करना सीखें
आज के समय में एक बच्चे की परवरिश करना केवल उसकी जरूरतों को पूरा करना भर नहीं रह गया। पेरेंट्स के लिए बच्चों कि परवरिश आज के परिवेश में बहुत ही कठिन टास्क बन चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज के बच्चे बेहद संवेदनशील भी है और हाइपरएक्टिव भी। बच्चों में एग्रेशन भी है और धैर्यता की कमी भी।
इस टेक युग में मोबाइल,टीवी और नेट सफिर्ंग से बच्चों को सुरक्षित रखना और सही उपयोग बताना, एक परेंट्स के लिए बहुत कठिन होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चों की परवरिश बेहतर करने के लिए आप खुद कुछ टिप्स फॉलों करें ताकि बच्चों कि मनोदशा ही नहीं उनकी फीलिंग्स को समझते हुए उनकी परवरिश कर सकें। इसके लिए कुछ नियम अपने जीवन में हमेशा के लिए उतार लें।
जाने, क्या है अच्छी पेरेंटिंग के नियम
1. खुद से बदलाव की करें शुरुआत : बच्चों को बदलने से पहले खुद को बदलें। इसके लिए जरूरी है कि जिन आदतों में आप बदलाव चाहते हैं बच्चे से पहले उसे आप खुद कर के उसे दिखाएं। यदि वह देर तक सोता है, टीवी देखता है, मोबाइल देखता या फिजिकल एक्टिविटी नहीं करता तो आप उसे इस आदत को बदलवाने से पहले अपने रुटीन पर नजर डाले और खुद को बदल कर उसके सामने एक नजीर पेश करें।
2. प्यार करें लेकिन जिद पूरी न करें : हर मां-बाप अपने बच्चों को प्यार करते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप प्यार में उसकी हर डिमांड को मानते जाएं। यदि आपको लगता है कि बच्चे कि जिद जायज नहीं तो आप बेशक उसे पूरा न करें। ये आदत शुरू से डालें ताकि बच्चे को भी पता हो कि उसकी हर डिमांड पूरी नहीं हो सकती। साथ ही बच्चे कि तुलना कभी किसी से न करें।
3. अनुशासन केवल स्कूल में नहीं घर पर भी जरूरी : अनुशासन केवल स्कूल में ही नहीं होनी चाहिए बल्कि घर में अनुशासन का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। लेकिन याद रखें अनुशासन प्यार से होना चाहिए न कि मारपीट कर या डरा कर सिखाना चाहिए। ज्यादा मारपीट या डांट बच्चे को दब्बू या विद्रोही बना सकता है।
4. बातचीत और दोस्ताना माहौल कायम करें : बच्चा छोटा हो या बड़ा उसके साथ बातचीत करना बहुत जरूरी है। कुछ समय बच्चों के लिए रखें और इसमें उनसे दोस्ताना रवैया अपनाएं। इससे वह अपनी हर बात आपसे शेयर करेगा और कभी किसी चीज से संकोच नहीं करेगा। इससे आप अपने बच्चे को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
5. हर गलती पर डांट जरूरी नहीं : यदि बच्चा कुछ गलत कर के भी आपको बताता है तो आप उसे डांटे या पीटे नहीं बल्कि उसे बताएं कि ये गलत है लेकिन फिर भी क्योंकि उसने सही बात बताई है, इसलिए वह इस गलती को माफ कर देंगे, लेकिन आगे ऐसी कोई गलती वह न करें। साथ ही उसे उस गलती का अहसास कराएं।
6. आत्मविश्वास विकसित करें : हर मां-बाप का फर्ज है कि बच्चे में आत्मविश्वास विकसित करें। बच्चे को कई काम खुद करने दें या उसे करने के लिए प्रेरित करें। भले ही वह काम सफल हो या न हो आप उसे शाबाशी जरूर दें।
7. अपनी इच्छाएं बच्चों पर न थोपें : इच्छाएं सबकी अपनी होती हैं, लेकिन थोपी हुई इच्छाएं तनाव को जन्म देती हैं, इसलिए अपनी इच्छाएं बच्चों पर नहीं थोपें। उन्हें भरोसा दिलाएं कि वह उनकी इच्छाओं को ही महत्व देंगे। इससे बच्चे आपकी बात को भी समझने का प्रयास करेंगे क्योंकि उन्हें पता होगा कि उनकी इच्छा सर्वोपरि होगी।
8. खुद फैसला लेने दें : कुछ निर्णय बच्चों को स्वयं लेने दें। भले ही आप निर्णय में उनकी मदद करें या अपने निर्णय को बता दें, लेकिन उन्हें बोलें कि वह खुद तय करें कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। सही-गलत बतना आपका काम होना चाहिए।
तो याद रखें बच्चे कि परवरिश के लिए आपको खुद पहले अपने में बदलाव करना होगा ताकि वह आपकी बातों को समझ सकें।