- नॉनस्टिक बर्तनों में खाना चिपकता नहीं और इसे साफ करना आसान होता है
- सभी तरह की खाने की चीजों को नॉनस्टिक बर्तनों में नहीं पकानी चाहिए
- सॉस, सूप, मीट, खीर जैसे फूड नॉस्टिक बर्तनों में बनाने से बचना चाहिए
Tips For Nonstick Utensils: घरेलू रसोई एक ऐसी जगह है जहां हर तरह के बर्तन रखे होते है। लेकिन बर्तनों का चुनाव बेहद जरूरी है क्युकी कई ऐसे बर्तन होते है जिनमे खाना बनाने से स्वास्थ्य को हानि होती है। किचन में नॉन-स्टिक पैन या कढ़ाई जरूर होता है। लेकिन इन नॉनस्टिक बर्तनों में खाना पकाना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप नहीं जानते तो यह जान लें, नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से कैंसर का खतरा रहता है। यह एक सिंथेटिक पॉलीमर कोटिंग के साथ आता है जिसे पॉलीटेट्राफ्लुओरोएथिलीन कहा जाता है, जो भोजन को सतह पर चिपके बिना पकाता है। इसकी लोकप्रियता का कारण ये भी है कि यह खाना पकाने में तेल और वसा के कम उपयोग के साथ-साथ साफ करने के लिए सुविधाजनक होता है।
क्या हैं नुकसान?
1) नॉन-स्टिक बर्तनों की कोटिंग में पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन का इस्तेमाल होता है। जिससे इन बर्तनों में खाना बनाने में कम तेल या घी लगता है। लेकिन आप यह जान लें यह एक जहरीला पदार्थ भी है। अगर आप इन बर्तनों का यूज करेंगे तो थायरॉइड डिसऑर्डर, क्रोनिक किडनी डिजीज, लिवर डिजीज और भी कई बिमारियां लग सकती है।
2) नॉन-स्टिक बर्तनों को धोते समय या गिर कर कोई स्क्रैच लगने के बाद उनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि स्क्रैच से आतंरिक परत में मौजूद टेफ्लॉन खाने के जरिए हमारे शरीर तक पहुंच जाता है। ये स्लो पॉइजन की तरह काम करता है।
3) ऑमलेट बनाने के लिए ज्यादा हिट न करें। नॉनस्टॉक बर्तनों में ज्यादा हिट देने पर इनकी कोटिंग्स पिघलने लगती है। और इससे निकलने वाला धुंआ खाने को टॉक्सिक यानी विषैला कर देता है जो हेल्थ के लिए बुरा होता है और जब यह खाना हमारे पेट में जाता है तो हमारे शरीर को अस्त व्यस्त कर देता है।
4) अगर आप सॉस, सूप, मीट, खीर या कोई भी डिश जिसे कम आंच पर बहुत देर तक पकाया जाता है और ये नीचे चिपकने लगते हैं तो ऐसी चीजो को भी नॉन स्टिक पैन में नहीं पकाना चाहिए। इससे पैन की कोटिंग खराब होती है और शरीर को नुकसान पहुंचाती है।
हालांकि टेफ्लॉन सुरक्षित है। लेकिन, 500°F (260°C) से ऊपर के तापमान पर, नॉनस्टिक कुकवेयर पर टेफ्लॉन कोटिंग्स टूटने लगती हैं, जिससे हवा में जहरीले रसायन निकलते हैं। इन धुएं को अंदर लेने से पॉलीमर फ्यूम फीवर हो सकता है, जिसे टेफ्लॉन फ्लू भी कहा जाता है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह के ब्यूटी रुटीन से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।)