- इन महापुरुषों ने बताया जीवन में मित्रता का महत्व
- सही को सही और गलत को गलत कहने वाला होता है सच्चा दोस्त
- अच्छे दोस्त की संगत हमेशा आपका मार्गदर्शन करती है
International Friendship Day 2022: अगस्त माह के पहले रविवार को हर साल इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे यानी मित्रता दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर सभी दोस्त एक दूसरे को विश करने के साथ उन्हें इस साथ के लिए कुछ यादगार तोहफे देकर धन्यवाद भी करते हैं। दोस्त हर किसी की जिंदगी में बहुत जरूरी होते हैं। बात चाहे सुख की हो या फिर दुख की। जब तक दोस्त साथ न हो, तब तक सब अधूरा रहता है। विद्वानों ने भी दोस्ती को जीवन में सबसे अहम माना है। कई महापुरुषों ने दोस्ती के महत्व पर अपने विचार रखें हैं। यहां पर हम देश-दुनिया के 10 ऐसे महापुरुषों व विद्वानों के अनमोल विचार लेकर आए हैं जो कुछ शब्दों में इस रिश्ते के महत्व को परभाषित करते हैं।
1. महात्मा गांधी ने कहा है कि, किसी भी मित्रता की परीक्षा विपत्ति में दी गई मदद से होती है और वह मदद बिना शर्त होनी चाहिए।
2. मुंशी प्रेमचंद ने मित्रता को परिभाषित करते हुए कहा है कि, मैत्री परिस्थितियों का विचार नहीं करती, अगर यह विचार बना रहे तो समझ लो मैत्री नहीं है।
3. गौतम बुद्ध ने भी मित्रता पर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने कहा है कि, जो छिद्रान्वेषण किया करता है और मित्रता टूट जाने के भय से सावधानी बरतता है, वह कभी मित्र नहीं होता है।
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4. पश्चिमी साहित्यकार कॉर्नील ने कहा है कि, प्रकृति पशुओं तक को अपने मित्र पहचानने की समझ देती है। क्योंकि मुश्किल वक्त में यही साथ निभाते हैं।
5. मित्रता पर अरस्तु ने कहा है कि, मित्रों के बिना कोई भी जीना पसंद नहीं करेगा, चाहे उसके पास बाकी सब अच्छी चीजें क्यों न हो। जीवन के लिए मित्र जरूरी है।
6. जोसेफ हॉल ने कहा है- मित्र दुःख में हमेशा साथ रहता है, कठिनाई में पथ-प्रदर्शक है, जीवन की खुशी है, जमीन का खजाना है, मनुष्य के रूप में नेक फरिश्ता है।
7. लैटिन ने मित्रता पर अपने विचार रखते हुए कहा है कि, दुनिया की किसी चीज का आनंद परिपूर्ण तब तक नहीं होता, जब तक कि किसी मित्र को साथ न लिया जाए।
8. यूरीपिडीज ने मित्र को जीवन का सबसे अहम हिस्सा बताते हुए कहा है कि विवेकी मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है।
9. इसोक्रेटस ने मित्रता करने के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा है- 'अनेक सबके प्रति रहो, मित्र सर्वोत्तम को ही बनाओ।'
10. तिरुवल्लुवर ने मित्र की पहचान के बारे में बताते हुए कहा है कि जो तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ देता है, बस वही मित्र है।