- दोस्ती में रूठना-मनाना चलता है
- आधी रात को भी दोस्त के लिए रहें तैयार
- कोरोना काल में भी रखें दोस्तों का ख्याल
मित्रता दिवस के दिन दोस्त की कलाई पर दोस्ती का धागा बांधिए, लेकिन हो सके तो दोनों के दिल में दोस्ती के बंधन को मजबूत तरीके से बांधिए। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें आपको मां-बाप, भाई-बहन सारे रिश्ते मिल सकते हैं और मिलते भी हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं कि बाकी रिश्तों में आप एक अच्छा दोस्त खोज पाएं। दोस्ती करना तो बहुत आसान है, लेकिन दोस्ती निभाना बहुत मुश्किल। दोस्ती आम है, लेकिन दोस्त बहुत खास होते हैं। इन 5 बातों से जानें क्या आप सच में एक अच्छे दोस्त हैं।
दोस्त से रूठना, दोस्ती से नहीं
इन दोनों शब्दों के लिखने के बीच भले ही दो शब्दों की दूरी हो, लेकिन सच में इन दोनों शब्दों के बीच बहुत ही बारीक लाइन है। उस फर्क को समझना बहुत मुश्किल, समझकर उसे निभाना और भी कठिन। कई बार दोस्त से झगड़ा, मनमुटाव हो जाता है, लेकिन क्या आप दोस्ती से रुठते हैं। अगर आपका जवाब हां है, तो फिर आप एक अच्छे और सच्चे मित्र नहीं हैं। दोस्त से झगड़ा कीजिए, उससे जीभरकर लड़िए मगर ऐ दोस्त उस दोस्ती से मत रूठिए।
सुख में देर से आना मगर दुख में दुख से भी पहले पहुंचना
किसी समारोह, पार्टी आदि में साथ देने के लिए तो हजारों लोग मिल जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया के जरिए ऐसे दोस्त मिल जाते हैं, जो सूट-बूट और महंगा परफ्यूम लगाकर आपकी पार्टी को रोशन तो कर देते हैं, लेकिन जब सच में इनकी जरूरत होती है, तो ये अकेले आपको अँधेरे में छोड़ देते हैं। अगर आप अपने दोस्त के सुख में थोड़ी देर से दस्तक देते हैं, तो चल जाएगा, लेकिन एक सच्चा मित्र तो वही है, जो दोस्त के पास उसके दुःख से पहले पहुंचकर दुःख को उस तक आने न दे. क्या आप ऐसे मित्र हैं ?
दिखावा नहीं परवाह करना
किसी की फिक्र करने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप उसे इसके बारे में बातें। चार लोगों से उसकी चर्चा करें। एक सच्चा मित्र मीलों दूर होते हुए भी दोस्त की हर एक सांस की खबर रखता है। उसे उसके हर एक गतिविधि की जानकारी होती है। वो परवाह करने का दिखावा नहीं करता बल्कि सच में उसकी परवाह करता है। ऐसी परवाह जिसकी भनक खुद उसके जिगरी दोस्त को भी नहीं लगती।
खुद से ज्यादा वाला दोस्त
बहुत कम ऐसा देखा गया है कि कोई किसी के बारे में खुद से अधिक सोचे. ऐसा तो खून के रिश्तों में भी अब नहीं होता। मगर दोस्ती है ही ऐसी कि इसमें आपको अपने से अधिक उसका ख्याल रहता है। आप खुद से पहले उसके बारे में सोचते हैं। अगर आप में भी ये भाव है, तो आप सच में अच्छे दोस्त हैं।
आधी रात में बस एक कॉल दूर वाला दोस्त
दोस्त बहुत खास होते हैं। हर कोई आपका दोस्त नहीं हो सकता. दोस्ती में कोई बंदिश नहीं होती। आप दोनों के बीच किसी चीज को लेकर भेद नहीं होता। उसके कपड़े से लेकर हर एक चीज पर हक होता है। आधी रात को भी अगर वो दोस्त आपको बस एक कॉल कर दे तो आप तुरंत बिना सवाल किए उसके पास चले आते हैं। क्या आप ऐसे मित्र हैं ? अगर आपका जवाब हाँ है तो खुलकर इस दोस्ती के दिन का आनंद उठाइए। कहीं आपको लगता है कि आप बदल गए हैं, तो यार देर नहीं हुई है, रम जाइए एक बार फिर से दोस्ती के उन्हीं लम्हों में, जिसमें आप दोनों पहले रमा करते थे।
कोशिश करें कि कोरोना की इस महामारी में अपने दोस्त की मदद करने के साथ ही उन अनजान लोगों की भी मदद करें, जिन्हें आप नहीं जानते। सच मानिए दोस्ती का ये हाथ उस अजनबी को अपना सा लगेगा।