Khaalijeb App: नोटबंदी के दौरान जब पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए लोगों को बैंकों की लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा था, तब खाली जेब ऐप ने लोगों की काफी मदद की। खासकर घर से दूर रह रहे छात्रों और युवाओं की। लेकिन इस ऐप का स्टार्टअप इतना आसान नहीं था। इस ऐप के संस्थापक सदस्यों ने इसे चित्रित करने के लिए पुष्पा राज के ट्रेंडिंग डायलॉग का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि हमारी कहानी असफलताओं और संघर्षों से भरी है, लेकिन हम पुष्पा में मुख्य किरदार की तरह लड़ते रहे और मन में संकल्प ले रखा था कि जब तक सफलता हासिल नहीं हो जाती हम रुकेंगे नहीं। ऐसे में यदि आप भी अपना ऐप बनाने या डिजिटल दुनिया में पैर रखने के लिए सोच रहे हैं, तो डिजिटल दुनिया के पुष्पा राज यानी खालीजेब ऐप के स्टार्ट अप की कहानी आपके सपनों को सच कर सकती है।
आसान नहीं थी राह
खालीजेब के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रथम कुमार ने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत के दौरान बताया कि इस ऐप को बनाने में उनकी टीम को किस तरह कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन मन में ठान रखा था कि मैं झुकेगा नहीं। बातचीत के दौरान ऐप के सह संस्थापक प्रथम कुमार ने बताया कि इस ऐप को शुरू करने का विचार उनके मन में अचानक ही आया। साल 2015 में जब वो कॉलेज की छुट्टियों के दौरान अपने गृहनगर पटना जा रहे थे, तब उन्होंने पटना रेलवे स्टेशन से अपने घर के लिए ओला बुक किया और ओला मनी से पैसे अपने आप कट गए। इसे देख वह चकित हो गए और उनके मन में विचार आया कि ये हर जगह क्यों नहीं हो सकता। बस फिर उन्होंने दुनिया भर में डिजिटल भुगतान प्रणाली के बारे में शोध करना शुरू कर दिया और अपना एक डिजिटल भुगतान ऐप बनाने की योजना बना लिया। इसके लिए उन्होंने कॉलेज के प्लेसमेंट को भी ठुकरा दिया और खुद का बिजनेस शुरू किया।
इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों से इस विषय पर चर्चा किया जो आईआईटी इलाहबाद में बीटेक के छात्र थे। लोग उनके साथ जुड़ते गए और सबने मिलकर 3 साल के लंबे अंतराल बाद 2018 में प्ले स्टोर पर इस ऐप को लॉन्च किया। ऐप को लॉन्च करने के बाद कुछ दिनों तक उनके हाथ निराशा लगी। लेकिन जैसे जैसे लोगों को इस ऐप का लाभ पता चलता गया वो इससे जुड़ते गए।